लखनऊ। राजकीय निर्माण निगम के माध्यम से पूर्वी उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में कराए गए 137 विकास कार्यों में हुए घोटाले की जांच में कई अभियंताओं पर गाज गिरनी तय है। इस परियोजना में शामिल बड़े अफसरों पर भी शिकंजा कसना लगभग तय है। एसआईटी ने मामले की जांच के कर शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। इसके साथ ही मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू करने के लिए शासन की स्वीकृति का इंतजार है।
बता दें कि, एसआईटी ने शासन को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद विवेचना शुरू करने की अनुमति मांगी थी। एसआईटी सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर इसके लिए सहमति बन गई है और जल्द ही इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी हो सकता है। सूत्रों की माने तो विवेचना शुरू होने के बाद जिन अधिकारियों की घोटाले में संलिप्तता पाई गई है, उनसे जल्द ही पूछताछ की जा सकती है।
सपा और बसपा शासनकाल में हुए थे काम
वर्ष 2006 से 2012 के बीच सपा व बसपा के शासनकाल में राजकीय निर्माण निगम के माध्यम से वाराणसी व प्रयागराज अंचल के जिलों वाराणसी, भदोही, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सोनभद्र, चंदौली, मिर्जापुर, आजमगढ़, जौनपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़ और श्रावस्ती में कराए गए 137 विकास कार्यों में हुए जिन घोटाले की एसआईटी ने जांच की है, उनपर करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। निगम ने इन जिलों में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, थाना भवन, जेल व पुलिस लाइन आदि का निर्माण कराया गया था।
काम में जमकर हुई लीपापोती
सूत्रों के अनुसार एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कार्यों की गुणवत्ता खराब होने, तय समय में योजनाएं पूरी न होने और पूर्व निर्धारित आगणन से ज्यादा लागत लगाने का खुलासा किया है। सूत्र बताते हैं कि कुछ योजनाओं में बार बार ठेकेदार बदले जाने और अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए आगणन संशोधित किए जाने का मामला भी पकड़ में आया। ऐसे में शासन की मंजूरी मिलने के बाद कार्यदायी संस्था के कई अधिकारियों एवं इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है।