वाराणसी। यूपी के वाराणसी में सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने दो दशकों की मेहनत के बाद देशी भिंडी की नई प्रजाति ‘काशी लालिमा’ विकसित कर ली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लाल रंग की यह भिंडी पोषक तत्वों से भरपूर है।भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान का कहना है कि लाल रंग की भिंडी अभी तक पश्चिमी देशों में ही उगाई जा रही है। यह भारत में आयात होती है। इसकी विभिन्न प्रजातियों की कीमत 150 से 600 रुपये किलो तक है।
देशी प्रजाति विकसित होने के बाद भारत के किसान भी इसका उत्पादन कर सकेंगे। दिसंबर से संस्थान में इसका बीज आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। पोषक तत्वों से भरपूर इस भिंडी के उत्पादन से भारतीय किसानों को फायदा मिलेगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह भिंडी एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन और कैल्शियम सहित अन्य पोषक तत्वों से भी भरपूर है।
दरअसल भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉक्टर बिजेंद्र की अगुआई में लाल भिंडी की प्रजाति पर 1995-96 में शोध कार्य शुरू हो गया था। इसके बाद काशी लालिमा का विकास शुरू हुआ। इसमें डॉ. एसके सानवाल, डॉ. जीपी मिश्रा और तकनीकी सहायक सुभाष चंद्र ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। 23 साल बाद इसमें सफलता मिली। भिंडी का रंग बैगनी-लाल है, इसकी लम्बाई सामान्य भिंडी जैसी ही है।