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यूपी में शादी अनुदान और परिवार योजना के नाम पर 6 करोड़ का घोटाला, सरकार करेगी वसूली

यूपी के कानपुर जिले में सरकारी योजना का लाभ अपात्रों को दिए जाने का बड़ा खुलासा हुआ है। समाज कल्याण विभाग ने पिछले 2 साल में 2523 अपात्र लोगों को शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना के तहत 6 करोड़ से ज्यादा की धनराशि बांटी है। दोनों योजना में कुल लाभार्थियों की संख्या करीब 7000 है। अब फर्जी तरीके से योजना का लाभ लेने वालों से रिकवरी की तैयारी हो रही है।

By संतोष सिंह 
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कानपुर। यूपी के कानपुर जिले में सरकारी योजना का लाभ अपात्रों को दिए जाने का बड़ा खुलासा हुआ है। समाज कल्याण विभाग ने पिछले 2 साल में 2523 अपात्र लोगों को शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना के तहत 6 करोड़ से ज्यादा की धनराशि बांटी है। दोनों योजना में कुल लाभार्थियों की संख्या करीब 7000 है। अब फर्जी तरीके से योजना का लाभ लेने वालों से रिकवरी की तैयारी हो रही है।

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शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजनाओं के 2523 लाभार्थी फर्जी पाए गए हैं। बताया गया है कि राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से 6 करोड़ रुपए से ज्यादा इन अपात्रों को बांट दिए गए। इसका खुलासा 51 अफसरों की बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट से हुआ है। अब फर्जी तरीके से योजनाओं का लाभ पाने वाले इन 2523 लोगों से सरकार वसूली करेगी। जांच कमेटी ने सत्यापन करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को अपनी पड़ताल में दोषी पाया है। डीएम ने इस बाबत कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

बता दें कि कानपुर में शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया। सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा कानपुर सदर तहसील में हुआ, जहां शादी अनुदान के नाम पर मिलने वाले 20,000 रुपयेऔर पारिवारिक लाभ योजना के तहत मिलने वाले 30,000 रुपये पाने के लिए अपात्रों को पात्र बता दिया गया है। कानपुर के परियोजना निदेशक केके पांडेय ने बताया कि शादी अनुदान योजना में 1079 और पारिवारिक लाभ योजना में 1444 लाभार्थी जांच में फर्जी पाए गए हैं।

पांडेय ने कहा कि कानूनगो और लेखपाल ने नियमों को ताक पर रखकर फर्जी लोगों को लाभ पहुंचाया है। जांच में यह भी पता चला है कि एसडीएम के लॉग-इन से फर्जी रिपोर्ट भेजी गई। कई लोगों को बगैर शादी के ही 20,000 रुपये का अनुदान दे दिया गया है। यही नहीं कई लोगों को तो बिना आवेदन किए ही भुगतान कर दिया गया। बाद में जब डीएम ने पूरे मामले की जांच कराई तो पता चला कि कई लाभार्थियों ने आय और जाति प्रमाण पत्र तक फर्जी लगाए थे। सदर तहसील के 2 साल और अन्य तहसीलों के 1 साल के दस्तावेजों को जब खंगाला गया, तो सबसे ज्यादा गड़बड़ी शहरी क्षेत्र में ही मिली है।

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