भगवान शिव के अतिप्रिय नाग देवता की पूजा के लिए मनाए जाने वाले पर्व को नाग पंचमी कहते है प्रत्येक वर्ष यह त्योहार सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाता है

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सनातन धर्म में सर्पों की पूजा करने की परंपरा आदि काल से चली आ रही है

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पौराणिक मान्यता है कि  नागपंचमी के पर्व पर नागों की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार में कुंड़ली बन रहे काल सर्प दोष के निवारण के लिए नाग पंचमी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

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हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार नाग पंचमी 21 अगस्त को पड़ेगी।

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ज्योतिषियों की मानें तो इस बार नाग पंचमी पर दुर्लभ संयोग  बनने जा रहे हैं।

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पौराणिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन तक्षक, वासुकी, अनंत, कालिया, कर्कट और अन्य नाग देवताओं की पूजा की जाती है।इस बार नाग पंचमी पर 4 शुभ संयोग बनेंगे, जिनमें शुभ योग, मुद्रा योग और शुक्ल योग शामिल हैं।

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पूजन समाग्री इस दिन नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति, लकड़ी की चौकी, जल, पुष्प, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, चीनी का पंचामृत, लड्डू और मालपुए, सूत्र, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, धूप-दीप, ऋतु फल, पान का पत्ता दूध, कुशा, गंध, धान, लावा, गाय का गोबर, घी, खीर और फल आदि पूजन समाग्री में होनी चाहिए। इस दिन कमजोर ओर असहाय लोगों की मदद करने का की भी पंरंपरा है।

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