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टांडा तहसील में दुकानदारों का अंधाधुंध चालान कर फ़र्ज़ी रसीदें बांट रहा है प्रशासन : फ़ैसल लाला

रामपुर की तहसील टांडा में दुकानदारों की फ़र्ज़ी रसीदें काटी जा रही हैं। कुछ दुकानदारों ने आप प्रदेश उपाध्यक्ष फ़ैसल खान लाला को बताया कि चालान के नाम पर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। मारूफ़, सुहैल, मुन्नवर और इरफ़ान की टांडा के एक छोटे से मोहल्ले में फ़ल, कैराना, पेंट और बिजली की दुकानें हैं।

By संतोष सिंह 
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रामपुर। रामपुर की तहसील टांडा में दुकानदारों की फ़र्ज़ी रसीदें काटी जा रही हैं। कुछ दुकानदारों ने आप प्रदेश उपाध्यक्ष फ़ैसल खान लाला को बताया कि चालान के नाम पर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। मारूफ़, सुहैल, मुन्नवर और इरफ़ान की टांडा के एक छोटे से मोहल्ले में फ़ल, कैराना, पेंट और बिजली की दुकानें हैं।

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दुकानदारों का कहना है कि चारों लोग होम डिलीवरी के लिए दुकान का शटर बन्द करके समान की डिटेल बना रहे थे। इस दौरान दुकान पर भीड़ या ग्राहक भी नहीं थे, लेकिन अचानक टांडा तहसील के अधिकारियों ने छापा मारकर दुकानदारों को हिरासत में लेकर थाने में बैठा दिया। उसके बाद दुकानदारों के घर वालों पर दवाब बनाकर फ़र्ज़ी रसीदों के आधार पर मारूफ़ से 25 हज़ार, सुहैल से 20 हज़ार, मुनव्वर से 20 हज़ार, इरफ़ान से 10 हज़ार रुपये वसूल लिये। प्रशासन ने जो रसीदें जारी की हैं। उन में एक माह बाद की तारीख़ डाली गई है और रसीदों पर यह भी नहीं दर्शाया गया है कि किस नियम और धारा के तहत दुकानदारों का चालान काटा गया है। रसीद पर किसी अधिकारी की मोहर व हस्ताक्षर भी नहीं है। केवल कैशियर के हस्ताक्षर से रसीद जारी की गई है। प्रथम द्रष्टयता में रसीद फ़र्ज़ी मालूम होती है।

फ़ैसल लाला ने कहा कि यदि रसीद फ़र्ज़ी नहीं है तब भी कमज़ोर लोगों के इतने बड़े चालान काटना यह दर्शाता है कि रामपुर में कोरोना की आड़ में सरकारी लूट की जा रही है। यदि किसी ने कोई अपराध किया है तो हालातों को देखते हुए उसके ऊपर उतना ही जुर्माना लगाया जाए जितना बर्दाश्त हो सके।

प्रशासन को बताना होगा एक जैसी दुकानों का अलग अलग धनराशि के चालान का आकलन किस आधार और किस पैमाने से किया जाता है? साथ ही प्रशासन को यह भी स्पष्ट करना होगा क्या दुकानदारों से वसूले गए पैसे सरकारी ख़ज़ाने में जमा किये जा चुके हैं या अधिकारियों की बंदर बाट का हिस्सा हो गए ? फ़ैसल लाला ने कहा ज़िला अधिकारी को मामले की जांच कराना चाहिए साथ ही जनपद के अधिकारियों को निर्देशित करना चाहिए कि महामारी के दौर में ऐसा जुर्माना हो जो इंसानियत को शर्मसार न करें।

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