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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी सत्ता छोड़ें, तभी तालिबान शांति समझौते पर करेगा बात

अफगानिस्तान (Afghan) और तालिबान (Taliban) के बीच पिछले 20 सालों से संघर्ष जारी है। इसी बीच अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो रही है। इन सबके बीच तालिबान फिर सिर उठा रहा है। तालिबान का दावा है कि उसने अफगानिस्तान के 85 फीसदी हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। इसको लेकर दुनिया के कई देश चिंतित हैं लेकिन इसके बीच सबसे बड़ा दर्द है हिंसा की मार झेल रहे अफगानियों का जीवन और मुश्किलों से घिरता जा रहा है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

इस्लामाबाद। अफगानिस्तान (Afghan) और तालिबान (Taliban) के बीच पिछले 20 सालों से संघर्ष जारी है। इसी बीच अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो रही है। इन सबके बीच तालिबान फिर सिर उठा रहा है। तालिबान का दावा है कि उसने अफगानिस्तान के 85 फीसदी हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। इसको लेकर दुनिया के कई देश चिंतित हैं लेकिन इसके बीच सबसे बड़ा दर्द है हिंसा की मार झेल रहे अफगानियों का जीवन और मुश्किलों से घिरता जा रहा है।

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तालिबान ने दावा किया है कि उसकी मंशा सत्ता पर एकाधिकार करना नहीं है। तालिबानी आतंकियों कहा कि जब तक अफगानिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी (Afghan President Ashraf Ghani)  सत्ता में हैं तब तक बातचीत संभव नहीं है। यह तभी संभव होगा जब देश में नई सरकार बन जाती है। तालिबान के प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने इंटरव्यू में यह बात कही है। बता दें कि शाहीन वार्ता दल के सदस्य भी हैं।

सुहेल शाहीन ने कहा कि तालिबान उस वक्त हथियार डाल देगा, जिस दिन अफगानिस्तान (Afghanistan) से अशरफ गनी (Ashraf Ghani) की सरकार चली जाएगी। यह प्रस्ताव संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को नई सरकार मंजूर होगा। शाहीन ने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम सत्ता पर एकाधिकार में विश्वास नहीं रखते। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में कोई भी सरकार, जिसने अतीत में सत्ता पर एकाधिकार रखने मंशा की, उसे सरकार चलाने में मुंह की खानी पड़ी है।

उन्होंने  प्रत्यक्ष तौर पर तालिबान के पांच वर्ष के कार्यकाल का जिक्र किया है। सुहेल शाहीन ने इस इंटरव्यू के दौरान तालिबान प्रवक्ता ने गनी पर युद्ध के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि अशरफ गनी ने बकरीद के पर्व पर मंगलवार को दिए भाषण में तालिबान के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया था। जबकि पिछले सप्ताह सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने दोहा (Doha) में तालिबान नेताओं के साथ उच्च स्तरीय वार्ता की थी।

उन्होंने वार्ता के दौरान नागरिकों की सुरक्षा और देश के ढांचे को सुरक्षित रखने पर जोर दिया था। शाहीन ने वार्ता को अच्छी शुरूआत बताया । तालिबान ने कहा कि अशरफ गनी (Ashraf Ghani) सामंजस्य नहीं चाहते बल्कि आत्मसमर्पण (Surrender) चाहते हैं। उन्होंने संघर्ष विराम से पहले नई सरकार पर सहमति बनाने की मांग की।

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उन्होंने कहा कि नई सरकार में महिलाओं को काम करने, स्कूल जाने और राजनीति में भाग लेने की अनुमति होगी, लेकिन उन्हें हिजाब या सिर पर स्कार्फ लगाना होगा। उन्होंने महिलाओं को घरों से निकलने के लिए अपने साथ किसी पुरुष रिश्तेदार की आवश्यकता नहीं होने की बात कही। तालिबान कमांडरों के आदेश हैं कि नए कब्जे वाले जिलों में विश्वविद्यालय, स्कूल और बाजार पहले की तरह संचालित हों, जिसमें महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी भी शामिल है।

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