अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) भारतीय सिनेमा के दिग्गजों में से एक हैं. ये कहना गलत नहीं गोगा कि कश्यप भारतीय सिनेमा के एक रत्न साबित हुए हैं. आपको बता दें, ‘अनुराग कश्यप’ (Anurag Kashyap) आज अपना 50 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं. उनका जन्म 10 सितंबर 1972 उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था.
Anurag Kashyap Birthday Special: अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) भारतीय सिनेमा के दिग्गजों में से एक हैं. ये कहना गलत नहीं गोगा कि कश्यप भारतीय सिनेमा के एक रत्न साबित हुए हैं. आपको बता दें, ‘अनुराग कश्यप’ (Anurag Kashyap) आज अपना 50 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं. उनका जन्म 10 सितंबर 1972 उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था.
भारतीय सिनेमा को अन्तर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में ‘अनुराग कश्यप’ (Anurag Kashyap) का बहुत बड़ा योगदान रहा है. समानांतर सिनेमा के सबसे प्रभावशाली पात्र से सजी इनकी फिल्में दर्शकों का मन मोहना बिलकुल नहीं भूलतीं.
फिर चाहे वह ‘भीखू म्हात्रे’ हो या ‘सरदार खान’. ‘सत्या’ जैसी फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखने वाले अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) नें अपनी निर्देशन शैली में निरंतर एक सा अंदाज़ कायम रखा है. यह सूची उन ख़ास स्थितियों और चीज़ों की है जो अनुराग कश्यप लगभग अपनी हर फिल्म में दर्शाते और आज़माते हैं.
अपनी कई फिल्मों में उन्होंने हमेशा एक ऐसा दृश्य रखा है जिसमें एक पात्र अपनी चप्पल गलती से पहनना भूल जाता है या ऐसी जगह पहन कर आ जाता है जहां उसे चप्पले नहीं पहननी चाहिए थीं. जैसे ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ और ‘बॉम्बे टॉकीज़’ फिल्म में उन्होंने यह दृश्य दोहराया है.
अनुराग कश्यप की हर एक फिल्म में सिगरेट का सेवन एक ऐसे तरीके से दर्शाया गया है कि मानो वह रोजमर्रा के कुछ ज़रूरी कामों में से एक है. सिर्फ सिगरेट नहीं बल्कि और कई नशीले पदार्थों का उपयोग उनकी फिल्मों में बेधड़क दिखाई पड़ता है. उन्होंने इस विषय पर एक फिल्म भी बनायी थी जिसका नाम रखा गया था ‘नो स्मोकिंग’.
कश्यप की ज़्यादातर फिल्मों में एक ऐसा दृश्य होता ही है जिसमें एक व्यक्ति या झुण्ड, दुसरे व्यक्ति या झुण्ड का पीछा कर रहें हो. ‘ब्लैक फ्राइडे’ के मशहूर चेसिंग सीन से लेकर ‘अगली’ फिल्म के शुरुआती चेसिंग सीन तक. इस तरह के दृश्य उनकी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ के दोनों भागों में दिखाए गए हैं.
गालियां तो अनुराग कश्यप की फिल्मों की शान हैं. अनुराग कश्यप अपनी फिल्मों का वास्तविकता से रिश्ता रखना पसंद करते हैं. उनकी हर एक फिल्म में उनका यह अंदाज़ देखा जा सकता है. अमेरिका की गैंगस्टर फिल्मों से प्रेरित अनुराग कश्यप उनकी छाप अपनी फिल्मों में छोड़ ही देते हैं.
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आदित्य श्रीवास्तव और के के मेनन जैसे अदाकार अनुराग कश्यप के सबसे पसंदीदा अदाकारों में से एक हैं और इसीलिए अनुराग कश्यप उन्हें अपनी कई फिल्मों में कास्ट कर चुके हैं. इन अदाकारों ने भी उनकी फिल्मों को नई-नई ऊचाइयों तक पहुँचाया है.
अनुराग कश्यप की हर फिल्म में हिंसा ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता. ‘सत्या’(बतौर स्क्रीन राइटर) से लेकर ‘अगली’(बतौर निर्देशक) तक, उनकी हर फिल्म में गोलियां चलती नज़र आती हैं. मार-धाड़, खून-खाराबा, यह सब उनके निर्देशन शैली में शामिल है.
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‘अगली’ भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित हुई. उसमें भी अनुराग कश्यप ने अनैतिकता पर आधारित कई विषयों का विस्तार से वर्णन किया है. मार्टिन स्कोर्सिसी और क्वेंटिन टारनटिनो जैसे निर्देशकों से प्रेरित अनुराग कश्यप की फिल्मों में इनकी निर्देशन शैली की झलक मिल ही जाती है.
कश्यप भारतीय सिनेमा के एक रत्न साबित हुए हैं. हम आशा करते हैं कि वे ऐसी ही प्रौढ़ फिल्में बनाते रहें और दर्शकों को मनोरंजित करते रहें.