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Astrology: पूजा के बाद आखिरी में क्यों फोड़ा जाता है नारियल, जानिए इसके पीछे की वजह

Astrology: सनातन धर्म में पूजा—पाठ में नारियल का बहुत ही महत्व है। सभी पूजा पाठ में नरियाल का उपयोग जरूर किया जाता है। हर शुभ कार्य में नारियाल भी फोड़ा जाता है। इसके साथ ही मन्नते पूरा होने पर लोग नारियल को मंदिरों में पूजा पाठ के दौरान चढ़ाते भी हैं और प्रसाद के रूप में इस बांटा भी जाता है।

By शिव मौर्या 
Updated Date

Astrology: सनातन धर्म में पूजा—पाठ में नारियल का बहुत ही महत्व है। सभी पूजा पाठ में नरियाल का उपयोग जरूर किया जाता है। हर शुभ कार्य में नारियाल भी फोड़ा जाता है। इसके साथ ही मन्नते पूरा होने पर लोग नारियल को मंदिरों में पूजा पाठ के दौरान चढ़ाते भी हैं और प्रसाद के रूप में इस बांटा भी जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिरी ऐसा क्या है कि पूजा पाठ में नारियल चढ़ाया जाता और शुभ कार्यों में इसे फोड़ा जाता है।

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बता दें कि, नारियल एक शुभ फल है। इसलिए मंदिरों में इसे चढ़ाने की परम्परा है। कोई भी पूजा या शुभ काम बगैर नारियल चढ़ाएं लाभदायक नहीं माना जाता है। ज्योतिष शास़्त्र में भी नारियल पूजा उपासना में सम्पन्नता का प्रतीक माना गया है। इसे लक्ष्मी जी का स्वरूप मानते हैं इसलिए इसे श्रीफल भी बोलते हैं। शास्त्रों में भी बताया गया है कि नारियल चढ़ाने से मनुष्य के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। वहीं, नरियल को लक्ष्मी का भी रूप माना जाता है।

जानिए क्यों फोड़ा जाता है नारियल…
ज्योतिष शास्त्र की माने तो पूजा के दौरान नारियल फोड़ने का मतलब मनुष्य स्वयं को अपने इष्ट देव को स्वयं को समर्पित कर दिया इसलिए पूजा में ईश्वर के समक्ष नारियल फोड़ा जाता है। पौराणिक कथा की माने तो एक बार ऋषि विश्वामित्र इंद्र से रुष्ट हो गए थे। इसके बाद उन्होंने दूसरा स्वर्ग बनाने की इच्छा जताई थी। हालांकि, वो दूसरे स्वर्ग ककी रचना से खुश नहीं थे। इसके बाद उन्होंने दूसरी सृष्टि के निर्माण में मनाव के तौर पर नारियल का इस्तेमाल किया था। इसलिए उस पर दो आंखें और एक मुख की रचना होती है। पहले के वक़्त में बलि देने का प्रथा बहुत ज्यादा थी। उस वक़्त में मनुष्य तथा जानवरों की बलि देना समान बात थी। तभी इस प्रथा को तोड़ने के लिए नारियल चढ़ाने की प्रथा आरम्भ हुई।

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