लखनऊ। अयोध्या प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले मेरठ में पुलिस-प्रशासन हाई अलर्ट मोड पर है। जिले को आठ जोन और 31 सेक्टरों में बांट दिया गया है। वहीं फैसले वाले दिन के लिए रैपिड एक्शन फोर्स, आरआरएफ और पीएसी की दस कंपनी मांगी गई हैं।
एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि अयोध्या प्रकरण में जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा, उस दिन बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा सहित 183 लोगों को नजरबंद कर दिया जाएगा। योगेश वर्मा दो अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान मेरठ में हिंसा फैलाने के आरोपी हैं। हिंसा के मुकदमे की फाइल पुलिस ने दोबारा खोल ली है। इसमें जितने भी लोग जेल गए थे, उन सभी को नजरबंद करने की तैयारी है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी फैसले वाले दिन इंटरनेट सुविधा बंद कराने पर भी विचार कर रहे हैं, ताकि लोग कोई भड़काऊ मैसेज वायरल न करने पाएं।
जिले में चिह्नित किए गए 106 संवेदनशील स्थानों पर पीएसी और आरएएफ द्वारा मार्च निकाला जा रहा है। 12 नवंबर को मखदूमपुर और गढ़ गंगा मेले से तीन हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी ड्यूटी से लौट आएंगे। जिसके बाद जिले के सभी संवेदनशील स्थानों पर पुलिस, आरएएफ, आरआरएफ और पीएसी को तैनात कर दिया जाएगा। कमिश्नरी पार्क में किसानों का धरना खत्म होने के बाद अब बिना अनुमति के सभी धरना प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है।
विवादित फोटो शेयर करने पर प्रतिबंध
एसएसपी ने बताया कि दस हजार से ज्यादा व्हाट्स एप ग्रुपों पर नजर रखी जा रही है। इसमें जो लोग शामिल हैं, उनमें से कुछ के नंबर सर्विलांस पर भी लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि साइबर की अतिरिक्त चार टीमें बना दी गई हैं। आईजी कार्यालय और पीटीएस में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस साइबर लैब भी अपना काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रकरण से जुड़े विवादित फोटो को शेयर करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।