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Azamgarh Shreya Suicide Case : आजमगढ़  स्कूल छात्रा के सुसाइड मामले में शासन सख्त, अब उठाया ये कदम

आजमगढ़ (Azamgarh)  के एक स्कूल में छात्रा के कूदकर जान देने के मामले में प्राचार्य व शिक्षक की गिरफ्तारी के खिलाफ जहां मंगलवार को प्रदेश भर में निजी स्कूल बंद रहे। वहीं, शासन ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। आजमगढ़ (Azamgarh)  के एक स्कूल में छात्रा के कूदकर जान देने के मामले में प्राचार्य व शिक्षक की गिरफ्तारी के खिलाफ जहां मंगलवार को प्रदेश भर में निजी स्कूल बंद रहे। वहीं, शासन ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

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महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद (Director General, School Education Vijay Kiran Anand) ने बताया कि बेसिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव (Director of Basic and Secondary Education Dr. Mahendra Dev) की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। इसमें शिक्षा विभाग (Education Department) के तीन अधिकारी और निजी स्कूलों के चार प्रतिनिधि शामिल होंगे। कमेटी आजमगढ़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करेगी। उन्होंने बताया कि कमेटी यह सुझाव भी देगी कि बच्चे स्कूलों में क्या ला सकते हैं और क्या नहीं। तलाशी किस तरह ली जाए, जिससे कोई दिक्कत न हो। अगर स्कूल में किसी विद्यार्थी का उत्पीड़न हो रहा है और वहां का प्रबंधन नहीं सुन रहा है तो अभिभावक क्या करें। इन्हीं बिंदुओं पर कमेटी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।

अभिभावक संघ ने कहा, एक दिन की फीस नहीं करेंगे जमा

आजमगढ़ के निजी स्कूल में छात्रा की मौत के बाद शिक्षक, प्रधानाचार्य की गिरफ्तारी के विरोध में मंगलवार को राजधानी में सभी बोर्ड के ज्यादातर निजी विद्यालय बंद रहे। इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई। इस दौरान निजी स्कूल संचालकों ने सरकार से स्कूल सुरक्षा बिल लाने की मांग की। उधर, अभिभावक कल्याण संघ ने स्कूल संचालक पर कार्रवाई का समर्थन करते हुए एक दिन की फीस जमा न करने की बात कही ।

राजधानी में यूपी, सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड से जुड़े 2500 से अधिक निजी स्कूल हैं। मंगलवार को इनमें से 98 फीसदी से अधिक बंद रहे। यहां न तो पढ़ाई हुई और न ही स्कूल से जुड़ा कोई काम हुआ। उधर, अभिभावक संघ ने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने से निजी स्कूल संचालकों के इस फैसले का कड़ा विरोध किया ।

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उधर, स्कूल संचालकों के मुताबिक छात्रा की मौत की जांच के बिना कैसे किसी शिक्षक व प्रधानाचार्य को दोषी मान लिया गया। ऐसी घटना में अभिभावक को भी सोचना चाहिए। जब स्कूलों में मोबाइल फोन लाना वर्जित है तो माता-पिता बच्चों को फोन क्यों देते हैं। आज किसी भी तरह की घटना पर अभिभावक एफआईआर करवा देते हैं। यही नहीं बच्चों ने शिक्षकों को सम्मान देना बंद कर दिया है।

जांच के लिए लिखा  है पत्र

स्कूल एसोसिएशन  स्कूल के मीडिया प्रभारी,  ख्वाजा सैफी यूनुस कहा कि स्कूल में छात्रा की मौत की घटना दुखद है। सभी विद्यालयों ने इस पर दुख जताया है। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से स्कूल शिक्षा महानिदेशक को पत्र दिया गया है, ताकि मामले की जांच हो सके।

बिना जांच न हो किसी की गिरफ्तारी

एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स, यूपी के अध्यक्ष, अतुल श्रीवास्तव कहा कि स्कूल संचालकों पर गलत तरीके से हो रही कार्रवाई से पहले जांच होनी चाहिए। सरकार से मांग है कि प्रदेश में स्कूल सुरक्षा बिल से जुड़ा शासनादेश लाए। स्पष्ट किया जाए कि स्कूल में किसी भी घटना की जांच किए बिना किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी।

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कार्रवाई का समर्थन करता है संगठन

अभिभावक कल्याण संघ, यूपी के अध्यक्ष, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव कहा कि 2008 से अब तक पहली बार सरकार की ओर से किसी स्कूल के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हुई है। संगठन इसका समर्थन करता है। स्कूल बंद होने पर एक दिन का शुल्क नहीं जमा किया जाएगा। स्कूल संचालकों के उत्पीड़न के विरोध में शासन से मुलाकात भी की जाएगी।

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