श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार अपराह्न तीन बजकर तैतीस मिनट पर पूजा- अर्चना पश्चात, कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में शीतकाल हेतु बंद हो गए।
Badrinath Dham Ke Kapat : श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार अपराह्न तीन बजकर तैतीस मिनट पर पूजा- अर्चना पश्चात, कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में शीतकाल हेतु बंद हो गए। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु अपने 24 स्वरूपों में से एक ‘नर-नारायण’ रूप में विराजमान हैं। मंदिर में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और उद्धव के विग्रह भी विराजित हैं। धाम के कपाट अप्रैल के महीने खोले जाते हैं। वहीं नवंबर में शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
कपाट बंद के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया था तथा सिंह द्वार परिसर में गढ़वाल स्काट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था। जय बदरीविशाल के उदघोष गूंज रहे थे। इस अवसर पर साढ़े पांच हजार से अधिक श्रद्धालुजन तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने। बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेष ने मंदिर को फूलों से सजाया। इस अवसर पर दानीदाताओं, भारतीय सेना ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किए।
इस बार सबसे अधिक 38 लाख रिकार्ड तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे। कपाट बंद होने तक अठारह लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम का दर्शन किए।