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रिसर्च में बड़ा दावा : बच्चों में ये वैक्सीन 100 फीसदी असरदार

दुनिया में कोरोना महामारी की दोनों लहरों में अब तक 17 करोड़ 40 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। अकेले भारत की बात करें तो यहां संक्रमितों की कुल संख्या 2.89 करोड़ से अधिक पार चुकी है। विशेषज्ञ कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए टीकाकरण को ही सबसे प्रभावी उपाय मान रहे हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। दुनिया में कोरोना महामारी की दोनों लहरों में अब तक 17 करोड़ 40 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। अकेले भारत की बात करें तो यहां संक्रमितों की कुल संख्या 2.89 करोड़ से अधिक पार चुकी है। विशेषज्ञ कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए टीकाकरण को ही सबसे प्रभावी उपाय मान रहे हैं। भारत में कोरोना की तीन वैक्सीन- कोविशील्ड, कोवैक्सीन और रूस द्वारा निर्मित स्पूतनिक उपलब्ध है। 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है।

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हालांकि इस बीच बच्चों की कोरोना से उनकी सुरक्षा सभी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। इसका मुख्य कारण बच्चों का वैक्सीनेशन अभियान में शामिल न हो पाना है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक चूंकि बच्चों पर वैक्सीन का अध्ययन बहुत अधिक नहीं हुआ है इसलिए फिलहाल उन्हें वैक्सीन नहीं दी जा रही है। हालांकि भारत में सोमवार 7 जून से 12 से 18 साल के बच्चों में कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है। इस बीच हाल ही में हुए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक वैक्सीन को 12-15 साल के बच्चों के लिए 100 फीसदी तक असरदार पाया है। आइए इस अध्ययन के बारे में जानते हैं।

फाइजर वैक्सीन बेहद असरदार

हाल ही में  न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने फाइजर वैक्सीन के बच्चों में काफी असरदार प्रभाव देखे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक टीके की दोनों खुराक लेने के सात दिनों के बाद बच्चों में वैक्सीन की प्रभाविकता 100 फीसदी के करीब देखी गई है। वैज्ञानिकों नें 12 से 15 वर्ष की आयु के 2,260 किशोरों को अध्ययन के लिए शामिल किया। इनमें से 1,131 को वैक्सीन (बीएनटी162बी2) और 1,129 को प्लेसीबो दिया गया।

कई स्तर पर किया अध्ययन

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अध्ययन में शामिल 2,260 प्रतिभागियों में 51 प्रतिशत पुरुष थे। इसमें 86 प्रतिशत श्वेत और 12 प्रतिशत हिस्पैनिक या लैटिनक्स थे। कुल मिलाकर 1,308 प्रतिभागियों का टीकाकरण की दूसरी खुराक मिलने के बाद कम से कम दो महीने निरीक्षण किया गया। इसके अलावा एक अन्य समूह में 16 से 25 वर्ष की आयु लोगों में वैक्सीन की रियोक्टोजेन्सिटी (जिस हद तक एक टीका अत्यधिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और प्रतिकूल प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकता है) और इम्युनोजेनेसिटी ( रोगज़नक़ के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्राप्त करने की क्षमता) की तुलना की गई।

12-15 वर्ष के बच्चों में दिखे अच्छे परिणाम

दोनों आयु समूहों में किशोरों ने वैक्सीनेशन के बाद सबसे ज्यादा सिरदर्द और थकान को साइड-इफेक्ट्स के रूप में अनुभव किया। हालांकि 16-25 वर्षीय प्रतिभागियों की तुलना में 12-15 वर्षीय प्रतिभागियों वैक्सीनेशन के बाद गंभीर सिरदर्द और थकान की दिक्कत भी कम देखने को मिली। इसके अलावा 12-15 वर्ष के किशोरों में वैक्सीन की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया 16-25 वर्ष के युवा वयस्कों की तुलना में अच्छी पाई गई। इस आधार पर अध्ययन में विशेषज्ञों ने फाइजर वैक्सीन की प्रभावशीलता 100 प्रतिशत पाई है।

ये देश कर रहे हैं बच्चों का टीकाकरण

बच्चों पर यह अध्ययन अमेरिका में किया गया था। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) से अनुमति मिलने के बाद अमेरिका में मई के मध्य से 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों को फाइजर वैक्सीन देने की शुरुआत हो चुकी है। इसके अलावा चिली, कनाडा, जापान और इटली ने भी 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को मंजूरी दी है। वहीं दुबई और फिलीपींस ने आपातकालीन उपयोग के लिए इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है।

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