नई दिल्ली। बिहार की नौकरशाही अपनी अजब गजब हरकतों से अक्सर चर्चा में रहती है। अब पटना में कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुके खाजपुरा इलाके में जिला प्रशासन ने दो साल पहले मर चुके मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगा दी। जब मजिस्ट्रेट अपनी ड्यूटी पर नहीं पहुंचे तो खोजबीन शुरू हुई। तब पता चला कि मजिस्ट्रेट की तो दो साल पहले मौत हो चुकी है। अब प्रशासन की लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिस शुरू हो गई है।
जानकारी के मुताबिक मजिस्ट्रेट राजीव रंजन की ड्यूटी कोरोना प्रभावित क्षेत्र खाजपुरा में लगाई गई थी। उनकी दो साल पहले कैंसर के कारण मौत हो गई थी। अब वे ड्यूटी करने कैसे आते? पता चला कि राजीव रंजन भवन निर्माण विभाग के दानापुर भवन प्रमंडल में कनीय अभियंता के पद पर तैनात थे। बुधवार को अचानक पटना में कोरोना के मरीजों के संख्या बढ़ने के बाद मजिस्ट्रेट की वहां तैनाती की गई लेकिन जब वे नहीं पहुंचे तो उन्हें ड्यूटी पर न पाकर अफवाह उड़ा दी गई कि अचानक उनकी मौत हो गई है। बाद में जब खोज खबर ली गई तब मालूम चला कि उनकी मौत दो साल पहले ही हो गई थी। इसको लेकर जिला प्रशासन अब कठघरे में है।
इस लापरवाही के कारण प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है। अचानक कल मजिस्ट्रेट की मौत की खबर सुनकर वहां तैनात अन्य मजिस्ट्रेट एवं पुलिसकर्मी भी दहशत में आ गए थे कि कैसे एक मजिस्ट्रट अचानक ड्यूटी से गायब हो गए हैं। उन्होंने इसकी सूचना जिला नियंत्रण कक्ष को दी जिसके बाद वहां नए सिरे से पदाधिकारियों की तैनाती की गई। एडीएम विधि व्यवस्था कन्हैया प्रसाद सिंह ने बताया कि खाजपुरा में नए सिरे से सुरक्षा के प्रबंध किए जा रहे थे।
इसी बीच खाजपुरा जाने वाले मुख्य मार्ग पर की गई बैरिकेडिंग के पास तैनात मजिस्ट्रेट की मौत की सूचना मिली। उसके विभाग की ओर से यह जानकारी दी गई। मौत की विस्तृत विवरण ली जा रही है। वहां दूसरे मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी गई है। बता दें कि पटना के खाजपुरा इलाके में बड़ी संख्या में मरीज मिलने के बाद खाजपुरा को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। इस मोहल्ले से किसी को बाहर निकलने या जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सैंपल जांच पूरी होने तक बैरिकेडिंग पार करने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी। इसके अलावा राजा बाजार और जगदेव पथ इलाके में चौकसी बढ़ा दी गई है।