नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता डॉ वीरेंद्र कुमार को 17 वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है, जो संसद चुन कर आए सदस्यों को शपथ दिलाएंगे। इससे पहले लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के लिए बरेली से सांसद संतोष गंगवार और सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी के नाम सामने आए थे। हालांकि बीजेपी नेतृत्व ने दोनों नाम खारिज कर दिए थे।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार में वह अल्पसंख्यक मंत्रालय एवं महिला एवं बाल विकास मिनिस्ट्री में राज्यमंत्री थे। प्रोटेम स्पीकर को लोकसभा के नियमित स्पीकर के चुनाव से पहले कामकाज को अंजाम देने के लिए नियुक्त किया जाता है।
प्रोटेम स्पीकर सदन के सबसे सीनियर सदस्य को बनाया जाता है। प्रोटेम स्पीकर ही सदन में नए चुनकर आए सदस्यों को शपथ दिलाते हैं। नए स्पीकर के चुनाव के बाद प्रोटेम स्पीकर का काम समाप्त हो जाता है। बचपन से ही आरएसएस से जुड़े डॉ. वीरेंद्र कुमार को सागर और टीकमगढ़ क्षेत्र में सादगी के लिए जाना जाता है। कई बार वह आने-जाने के लिए लिफ्ट लेते हुए भी दिखाई दिए हैं।
उनके करीबी सहयोगी ने बताया था, ‘जब वीरेंद्र दिल्ली आते हैं, तो वह किसी भी आम आदमी की तरह स्टेशन पर उतरते हैं और अपने घर तक पहुंचने के लिए ऑटो-रिक्शा लेते हैं।’
कौन हैं वीरेंद्र कुमार
27 फरवरी, 1954 को जन्मे वीरेंद्र कुमार 1996 में सागर से 11वीं लोकसभा में पहली बार सांसद बने। तब से उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2004 तक सागर से जीते। परिसीमन के बाद उन्होंने 2009 और 2014 में टीकमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीता।
छह चुनाव सिर्फ तीन साल के अंतराल में हुए थे 1996, 1998 और 1999. प्रतिष्ठित डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर से अर्थशास्त्र में एमए और चाइल्ड लेबर में पीएचडी वीरेंद्र कुमार ने अपना करियर आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में शुरू किया था। उन्होंने 1975 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था।