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Breaking-कश्मीर में BJP-नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन पक्का! फारूक अब्दुल्ला के तेवर तो यही दे रहे हैं संकेत

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में इस साल के अंत या फिर अगले साल विधानसभा चुनाव होने तय हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक तारीखों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन घाटी की सियासत में कुछ बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री (former Chief Minister of Jammu and Kashmir)फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तेवर एक-दूसरे के लिए बदले हुए दिख रहे हैं।

By संतोष सिंह 
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कश्मीर। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में इस साल के अंत या फिर अगले साल विधानसभा चुनाव होने तय हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक तारीखों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन घाटी की सियासत में कुछ बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री (former Chief Minister of Jammu and Kashmir)फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तेवर एक-दूसरे के लिए बदले हुए दिख रहे हैं।

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बता दें कि हाल ही में उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) और जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष रविंदर रैना (Jammu and Kashmir BJP President Ravinder Raina) ने एक-दूसरे की खुलकर तारीफ की थी। इसके बाद अब उनके पिता ने नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) को लेकर जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की मुखिया महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) से अलग अपनी राय व्यक्त की है।

‘रघुपति राघव राजा राम’ (Raghupati Raghav Raja Ram) गीत को सांप्रदायिक करार देते हुए महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने कहा था कि केंद्र सरकार कश्मीर में अधिकारों को छीनने के बाद अब हिंदुत्व का अजेंडा थोप रही है। वहीं, इस मामले पर फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की अलग राय है। उन्होंने पूछा है कि आखिर भजन गाने गलत क्या है। उन्होंने कहा कि मैं खुद भी भजन गाता हूं और इससे हिंदू नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां कोई हिंदू अजमेर दरगाह जाने से मुसलमान नहीं हो जाता है। आपको बता दें कि स्कूलों में महात्मा गांधी की 153वीं जयंती से पहले पर इस गीत को गाने का आदेश दिया गया है। यह गीत महात्मा गांधी अकसर गुनगुनाते थे और उनकी सभाओं में भी यह गाया जाता था। ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम जैसी इसकी पंक्तियों को सांप्रदायिक एकता के लिए अहम माना जाता रहा है।

पहले रविंदर रैना और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)  की एक-दूसरे की तारीफ और अब मोदी सरकार को लेकर महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti)  के स्टैंड से अलग फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के बयान से कश्मीर की राजनीति को लेकर नए संकेत दिख रहे हैं। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दल गठबंधन कर सियासी पंडितों को चौंका सकते हैं।

आपको बता दें कि इससे पहले बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के साथ कश्मीर में गठबंधन किया था। दोनों दलों ने मिलकर सरकार भी बनाई। हालांकि, दोनों के रिश्तों में बीच में दरार पर गई। दोनों ने अपनी-अपनी राह अलग कर ली।

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