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बसपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमान खान पार्टी से निष्कासित

बहुजन समाज पार्टी बीएसपी ने पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमान आरोप पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप पार्टी से निकाल दिया है। बता दें कि पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमान पर सपा से टिकट की दावेदारी की अटकलों की जानकारी हाईकमान तक पहुंचने के बाद यह कार्यवाही हुई है। बता दें कि 29 साल तक बसपा में रहे पूर्व मंत्री अकील उर रहमान खान 1992 में बसपा की सदस्यता लेकर 1993 में मुरादाबाद शहर सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था।

By संतोष सिंह 
Updated Date

सम्भल। बहुजन समाज पार्टी (BSP)  ने पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमान आरोप पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप पार्टी से निकाल दिया है। बता दें कि पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमान पर सपा से टिकट की दावेदारी की अटकलों की जानकारी हाईकमान तक पहुंचने के बाद यह कार्यवाही हुई है। बता दें कि 29 साल तक बसपा में रहे पूर्व मंत्री अकील उर रहमान खान 1992 में बसपा की सदस्यता लेकर 1993 में मुरादाबाद शहर सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था।

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अक़ीलुर्रहमान बसपा (BSP)   में राजस्थान , महाराष्ट्र प्रदेश व उत्तराखंड के प्रभारी की 2019 में मिली थी, जिम्मेदारी 2014 में बनाया था। पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमान खान (Akilur Rahman Khan) जल्द सपा का दामन थाम सकते हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) में कुछ ही महीने बचे हैं। जैसे-जैसे चुनाव करीब आता जा रहा है, सियासी दल अपने-अपने कार्ड खेलने में जुट गए हैं। पहले जातीय समीकरण साधने के लिए सियासी दल अपने अपने अंदाज में काम कर रही है, लेकिन इधर बीएसपी के पूर्व मंत्री अक़ीलुर्रहमन को पार्टी ने निष्काषित कर दिया है।

मुरादाबाद मंडल में वीर सिंह के बाद अगला निशाना बसपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खान रहे। संगठन विरोधी गतिविधि में शामिल होने पर पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैंने विपरीत परिस्थिति में सपा के गढ़ वाले जिले में पार्टी का झंडा बुलंद किया था। खुद विधायक रहा जबकि मेरी पत्नी तरन्नुम अकील सम्भल शहर से नगर पालिका चेयरमैन रही। बसपा ने मुझे निकालकर सच्चे सिपाही को निकाला है। वहीं, पत्नी तरन्नुम अकील ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

उन्होंने भी त्याग पत्र दे दिया है।उन्होंने कहा कि जिस बसपा ने तीन दशक से पार्टी को मजबूत करने वाले उनके पति को सम्मान नहीं दिया, तो मुझें क्या देगी। अक़ीलुर्रहमन का दावा है उनके साथ दलित अल्पसंख्यक है ओर साथ मे सभी लोगो का साथ ही वह 2022 का चुनाव लड़कर बीएसपी को हराकर हकीकत का आईना दिखा देंगे । ऐसे में अब लगभग तय हो चुका है कि वह किसी भी दूसरी पार्टी को जल्द ही दामन थाम सकते हैं।

हालांकि, उनकी सपा में जाने की ज्यादा संभावना जताई जा रही है। बसपा जिलाध्यक्ष (BSP District President) ने बताया कि अनुशासनहीनता व पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने पर उन्हें बसपा सुप्रीमो ने बाहर का रास्ता दिखाया है। बता दें कि वह 1992 में बसपा से जुड़े थे। 1993 में मुरादाबाद नगर से बसपा प्रत्याशी बने, चुनाव हारे। 2002 में फिर बहजोई से लड़े और बसपा को जीत दिलाई। 2007 में एक बार फिर बहजोई से बसपा के विधायक बने। वहीं, 2014 में बसपा ने लोकसभा प्रत्याशी बनाया। रिकार्ड पौने तीन लाख वोट हासिल किए थे। मैंने 29 साल बसपा की सेवा की। जिस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। सभी विधायक सपा के थे।

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इसमें लोकसभा चुनाव में पौने तीन लाख वोट पाया। बसपा को सम्भल में मैं तथा मेरी पत्नी ने मजबूत किया। दो बार सम्भल में बसपा का नगर पालिका चेयरमैन रहा। जो भी निर्णय बसपा सुप्रीमो ने लिया है वह स्वीकार है। एक बात तो तय है कि सम्भल में बसपा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। जब मेरे जैसे सच्चे सिपाही के साथ पार्टी ने यह किया तो अन्य के साथ कुछ भी हो सकता है। हजारों दलित-मुस्लिमों साथियों से राय लेकर मैं अगली रणनीति जल्द ही बनाउंगा।

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