कुंडली के नौ ग्रहों में बुध देव विशेष महत्व है। बुध ग्रह को ग्रह मंडल का राजकुमार कहा जाता है। बुध को ज्योतिष शास्त्र में वाणी का कारक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में उपस्थित मान्य 27 नक्षत्रों में से बुध को अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है।
Budh grah : कुंडली के नौ ग्रहों में बुध देव विशेष महत्व है। बुध ग्रह को ग्रह मंडल का राजकुमार कहा जाता है। बुध को ज्योतिष शास्त्र में वाणी का कारक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में उपस्थित मान्य 27 नक्षत्रों में से बुध को अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। जिनमें जन्में जातक बुध से काफी प्रभावित रहते हैं। बुध देव को काल पुरुष की वाणी कहा गया है। कुंडली में लग्न में बुध हो तो जातक स्वभाव से तर्कसंगत और बौद्धिक रूप से धनी तथा कुशल वक्ता बनाता है। बुध को बुद्धि का दाता भी कहा जाता है। मिथुन और कन्या राशि, बुध की स्वयं की राशि है। इसके साथ ही बुध अपनी स्वयं की कन्या राशि में उच्च के हो जाते है।जिस जातक की कुंडली में बुध कमजोर होता है। वह संकोची होता है। अपनी बात रखने में उसे परेशानी होती है। शुक्र और सूर्य बुध के मित्र है, तथा सूर्य के साथ वे अपनी कन्या राशि में १५ अंश पर बुधादित्य योग बना देते है। सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित है।
बुध से सम्बंधित व्यवसाय
सभी प्रकार के लेखन कार्य, कवी, लेखक, पत्रकार, अख़बार, संपादक, क़िताबों से सम्बंधित व्यवसाय, वाणी, वाणी से सम्बंधित व्यवसाय, गायक, वक्ता, सभी प्रकार के संपर्क के माध्यम, आदि विषय बुध के कारकत्व में आते है।
यंत्र – बुध यंत्र
मंत्र – ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
रत्न – पन्ना
रंग – हरा
उपाय – यदि बुध कमजोर हैं तो आपको उनके रत्न पन्ना को धारण करना चाहिए। इसके साथ ही बुध यंत्र का उपयोग करें। दान करने से भी आपको राहत मिल सकता है।