HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Chhath Puja Special 2021: तीसरे दिन होती है अस्त होते सूर्य की पूजा, ऐसे ही छठ के पर्व को नहीं कहा जाता महापर्व

Chhath Puja Special 2021: तीसरे दिन होती है अस्त होते सूर्य की पूजा, ऐसे ही छठ के पर्व को नहीं कहा जाता महापर्व

छठ पूजा(Chhath Puja) हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मनाई जाती है। साल 2021 में ये पूजा 10 नवंबर को होनी है। खासतौर पर बिहार,यूपी, झारखंड में इस त्योहार को मनाने का खास महत्व होता है। इसलिए इस पूजा के बारे में कुछ खास बातें आप जान लें और साथ ही में आज हम आपको इस त्योहार के इतिहास (History) व लोककथा के बारे में भी आज हम आपको बताते हैं।

By प्रिन्स राज 
Updated Date

Chhath Puja Special 2021: छठ पूजा(Chhath Puja) हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मनाई जाती है। साल 2021 में ये पूजा 10 नवंबर को होनी है। खासतौर पर बिहार,यूपी, झारखंड में इस त्योहार को मनाने का खास महत्व होता है। इसलिए इस पूजा के बारे में कुछ खास बातें आप जान लें और साथ ही में आज हम आपको इस त्योहार के इतिहास (History) व लोककथा के बारे में भी आज हम आपको बताते हैं। मान्यताओं के अनुसार, वेद और शास्त्रों के लिखे जाने से पहले से ही इस पूजा को मनाया जा रहा है क्योंकि ऋग्वेद में छठ पूजा जैसे ही कुछ रिवाजों का जिक्र है।

पढ़ें :- Janaki Jayanti 2025 : जानकी जयंती के दिन माता सीता की पूजा की जाती है , जानें  तिथि और पूजा विधि

इसमें भी सूर्य देव(Surya Dev) की पूजा की बात की गई है। उस समय ऋषि-मुनियों के व्रत रखकर सूर्य की उपासना करने की बात भी कही गई है। हालांकि, छठ का इतिहास भगवान राम की एक कथा से जुड़ा हुआ है। लोककथा के अनुसार, सीता-राम दोनों ही सूर्य देव की उपासना के लिए उपास करते थे। ये कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में किया जाता था। ये उन्होंने वनवास से लौटने के बाद किया था। उसी समय से छठ पूजा एक अहम हिंदू त्योहार(Hindu Festival) बन गया और हर साल उसी मान्यताओं के साथ मनाया जाता है।

पूजा का तीसरा दिन — सांध्य अर्घ

पिछले खबर में हमने आपको बताया है छठ पूजा के पहले दो दिन व्रती क्या करती है इसके बारे में। आज हम आपको बतायेंगे कि व्रती तिसरे दिन क्या करती हैं। पूजा का तीसरा दिन सांध्य अर्घ का होता है।तीसरा दिन: संध्या अर्घ्यतीसरे दिन घर पर छठ प्रसाद बनाएं जिसमें ठेकुआ और कसार के साथ अन्य कोई भी पकवान बनाते हैं। यह पकवान खुद व्रत करने वाले या उनके घर के सदस्यों मिलकर बनाते ​हैं। छठ के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन बांस या मिट्टी के होने चाहिए। शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाते हैं। वर्ती के साथ परिवार के सारे लोग सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट पर जाते हैं।

पढ़ें :- MahaShivratri 2025 Puja Muhurat : महाशिवरात्रि पर पूरे मनोभाव से भगवान शिव परिवार की करें पूजा , जानें शुभ मुहूर्त
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...