नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हांगकांग में लोकतंत्र और मानवाधिकार के समर्थन वाले एक बिल पर हस्ताक्षर कर मंजूरी दी है। इस विधेयक के तहत हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों के मानवाधिकारों का हनन करने वाले अधिकारियों पर पाबंदियां लगाने का प्रस्ताव है। डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद चीन ने गुरुवार को अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजिंग ने कहा कि अमेरिका को जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।
माना जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम से चीन और अमरीका के रिश्तों में जारी खटास और ज्यादा बढ़ सकती है। चीन ने पहले भी हांगकांग के मामले में अमरीका को दखल अंदाजी ना करने की बात कही थी।
चीन ने दी जवाबी कार्रवाई की धमकी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हांगकांग में लोकतंत्र की मांग के लिए चल रहे प्रदर्शनों का समर्थन करने संबंधी एक विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं जिससे चीन बेहद खफा है और उसने अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की धमकी दी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि,”इसकी प्रकृति अत्यंत घृणित है, और इसके इरादे बेहद भयावह।” हालांकि बयान में यह नहीं कहा गया है कि बीजिंग किस प्रकार के कदम उठा सकता है।
ट्रंप ने क्यों किए बिल पर हस्ताक्षर?
डोनाल्ट ट्रंप इससे पहले हांगकांग से जुड़े इस बिल पर हस्ताक्षर करने के लिए उत्साहित नहीं थे। गौरतलब हो कि ट्रंप ने कहा था कि वो हांगकांग के साथ खड़े हैं लेकिन उसी वक्त उन्होंने यह भी कहा था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक बेहतरीन शख्स है।
माना जा रहा है कि अमेरिकी संसद की तरफ से लगातार बढ़ते दबाव के चलते ट्रंप को इस पर हस्ताक्षर करना पड़ा है। कांग्रेस के कई सदस्यों द्वारा इस बिल का समर्थन किया जा रहा था। अगर ट्रंप इस बिल पर वीटो भी करते तो बाकी के सांसद उनके फैसले के खिलाफ वोट कर इसे पलटने का दम रखते थे।
इस बिल के अलावा ट्रंप ने एक और बिल पर भी हस्ताक्षर किए हैं। यह बिल हांग कांग पुलिस को मिलने वाले असला-बारूद को प्रतिबंधित करने से जुड़ा है। इस बिल के अनुसार भीड़ को नियंत्रित किए जाने के लिए प्रयोग में लिए जाने वाले आंसू गैस, रबर बुलेट या स्टन गन इनके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाना है।
ट्रंप ने कहा है कि इन दोनों बिलों के जरिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि चीन और हांगकांग के प्रतिनिधि साथ में बैठकर हालात सुधारने पर विचार करें। उन्होंने कहा कि चीन और हांग कांग दोनों के प्रतिनिधियों को अपने मतभेद भुलाकर शांति और समृद्धि के लिए आगे बढ़ना चाहिए।