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CM Yogi Adityanath Birthday: उत्तराखंड के अजय सिंह बिष्ट बने योगी आदित्यनाथ, फिर UP का मुखिया बनने की जानें दिलचस्प कहानी

यूपी (UP) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) सोमवार को पांच जून को 51 साल के हो गए हैं। बता दें कि सीएम योगी (CM Yogi)  का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले (Pauri Garhwal District) स्थित यमकेश्वर तहसील (Yamkeshwar Tehsil) के पंचुर गांव (Panchur Village) में हुआ था। सीएम योगी (CM Yogi) का बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट (Ajay Singh Bisht) हुआ करता था।

By संतोष सिंह 
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गोरखपुर। यूपी (UP) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) सोमवार को पांच जून को 51 साल के हो गए हैं। बता दें कि सीएम योगी (CM Yogi)  का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले (Pauri Garhwal District) स्थित यमकेश्वर तहसील (Yamkeshwar Tehsil) के पंचुर गांव (Panchur Village) में हुआ था। सीएम योगी (CM Yogi) का बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट (Ajay Singh Bisht) हुआ करता था।

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साल 1994 में दीक्षा के बाद वह योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बन गए थे। योगी हिंदू युवा वाहिनी संगठन (Hindu Yuva Vahini Sangathan) के संस्थापक भी हैं, जो कि हिंदू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)  ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी (Hemvati Nandan Bahuguna Garhwal University) से गणित से बीएससी की है। 1993 में गोरक्षनाथ मंदिर (Gorakshanath Temple) पहुंचे योगी की दीक्षा के समय विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष (International President of Vishwa Hindu Parishad) अशोक सिंघल (Ashok Singhal)भी मौजूद थे।

महंत योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर (Mahant Yogi Adityanath Gorakshpeethadhishwar) रहे ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ (Brahmalin Mahant Avedyanath) के शिष्य हैं। 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) गोरखपुर से सांसद रहे और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता ही गया। 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)  मूल रूप से उत्तराखंड के निवासी हैं। इसे बाद उन्होंने 2022 में दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।

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हालांकि सीएम योगी पूर्वाश्रम (संन्यास से पहले) जन्मदिन नहीं मनाते। योगी होने के नाते भी वह इन सबसे दूर रहते हैं।  हर साल की तरह इस बार भी सीएम योगी बगैर किसी आयोजन के अपना रोजमर्रा का काम कर रहे हैं। हालांकि उनके लाखों प्रशंसक उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। इनके गोरखपुर में आने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर बेहद संघर्षमय रहा है।

योगी आदित्यनाथ के गोरक्षपीठ का मठाधीश से देश के सबसे बड़े राज्य का सत्ताधीश बनाने का सफर बेहद संघर्षमय रहा

चुनाव परिणाम आने के बाद सीएम पद की रेस में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का नाम आखिरी पायदान पर था। नाम जोरशोर से आगे आया मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) का। कयासबाजी केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के नाम पर भी रही। देशभर की मीडिया ने एकबारगी मनोज सिन्हा (Manoj Sinha)  के नाम का ऐलान भी कर दिया। पर, पहले से योगी को प्रकारांतर में प्रोजेक्ट करने वाले शीर्ष नेतृत्व ने आखिरी क्षण में सारी कयासबाजी को धराशाई कर दिया। योगी के नाम पर संशय संघ प्रमुख मोहन भागवत (Sangh chief Mohan Bhagwat) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के बीच हुई वार्ता ने भी दूर कर दिया।

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योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)  को गोरक्षपीठ के मठाधीश से देश के सबसे बड़े राज्य का सत्ताधीश बनाने के लिए भाजपा मजबूर हुई या सब कुछ एक तयशुदा योजना के अनुसार हुआ? लोकसभा चुनाव 2014 और उसके बाद के राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से देखें तो योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)  को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री (UP CM) बनाया जाना भाजपा की कार्यनीतिक और रणनीतिक पहलू का ऐसा हिस्सा रहा। कभी संगठन से रार ठान लेने वाले योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)   2017 के यूपी विधानसभा (UP Assembly) में बिलकुल अलहदे अंदाज में दिखे।

पूरे चुनाव में कभी भी उन्होंने पार्टी लाइन से इतर कोई नहीं की और न ही अपने चहेतों को टिकट दिलाने के लिए संगठन से दो-दो हाथ करने का इरादा दिखाया । क्योंकि यह योगी हैं जिन्होंने 2002 के चुनाव में गोरखपुर सीट से हिन्दू महासभा (Hindu Mahasabha) का बैनर इस्तेमाल कर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ प्रत्याशी उतार दिया था। और 2007 में अपने चहेतों को टिकट न मिलने पर उन्हें भी हिन्दू महासभा (Hindu Mahasabha)  के बैनर पर चुनाव लड़ाने का खुला एलान कर दिया था।

2007 में पार्टी और योगी के बीच लंबी खींचतान के बाद पार्टी को झुकना पड़ा था। पर, 2017 में लोगों ने ऐसे योगी को देखा, जिन्होंने अपने आप को पार्टी के पैमाने पर फिट बैठाये रखा। यहाँ तक कि जब उन्हें सीएम कैंडीडेट घोषित करने की मांग करते हुए उनके द्वारा ही संरक्षित हिंदू युवा वाहिनी के कुछ पदाधिकारियों ने निजी सियासत शुरू की तो उन्होंने भाजपा हित में उनसे पल्ला झाड़ने में तनिक देर भी नहीं लगाई। पार्टी के अंतिम निर्णय में योगी का यह धैर्य भी बहुत काम आया।

 

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