लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में सरकार एक के बाद एक बड़े कदम उठा रही है। सपा सरकार के लोहिया ट्रस्ट बंगले के बाद अब राज्य मंत्रियों पर गिरि गाज, अब मंत्री खुद अपना आयकर जमा करेंगे। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सरकारी खजाने से मंत्रियों के वेतन का आयकर अदा किए जाने की 38 साल पुरानी व्यवस्था खत्म करने का फैसला किया है। वित्त व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा है कि अब मंत्रियों को आयकर का भुगतान खुद करना होगा। सरकार इसके लिए एक्ट में बदलाव करेगी।
दरअसल, यूपी मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) अधिनियम, 1981 के अधीन प्रदेश मंत्रियों को काफी छूट मिली हुई है। बतौर वित्तमंत्री नियुक्त होने के बाद सुरेश खन्ना ने फिजूलखर्ची रोकने पर विभाग में चर्चा की थी। जिसके बाद मंत्रियों के वेतन का आयकर सरकार के खजाने से अदा किए जाने की बात सामने आई। तब उन्होंने इस व्यवस्था को खत्म करने के संबंध में पहल करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से चर्चा की। 1981 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह व्यवस्था लागू की थी। तब से किसी ने इसकी समीक्षा नहीं की। अब इसे समाप्त करने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंजूरी दे दी है।
बता दें, साल 1981 के अक्टूबर से मंत्रियों के वेतन का आयकर खुद सरकार भर रही है। मिली जानकारी के मुताबिक चिकित्सीय भत्ता, सचिवीय भत्ता भी कर योग्य आय माना जाता है। आवासीय सुविधा के एवज में आवास के वार्षिक वैल्यू के आधार पर इनकम टैक्स अदा किया जाता है। निर्वाचन क्षेत्र भत्ता व प्रतिदिन दैनिक भत्ता इनकम टैक्स के दायरे से बाहर है।
इतना ही नहीं साल 1981 में जब यह व्यवस्था लागू की गई थी, उस समय कांग्रेस की वीपी सिंह सरकार थी। वीपी सिंह ने विधायकों की गरीबी और मालीहालत का हवाला देते हुए सरकारी खजाने से इनकम टैक्स अदा करने की व्यवस्था की थी। उस जमाने में विधायक सादगी की मिसाल माने जाते थे। तब से विधायकों व मंत्रियों के ठाटबाट में बड़ा बदलाव आ चुका है। आयकर देने में सरकारी खजाने पर बोझ मंत्रियों की संख्या पर निर्भर है। 2018-19 में इस मद में ₹86 लाख भुगतान हुआ। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद 2019-20 में यह बहुत एक करोड़ से अधिक जाने का अनुमान था।