नई दिल्ली: देशव्यापी लॉकडाउन में बहुत से दिहाड़ी मजदूर और गरीब अपने घरों के लिए रूकसत हो गए या फिर जो जा न सके वो लॉकडाउन खत्कोम होने के इंतजार में हैं। लॉकडाउन में आपमें से ज्यादातर लोग घरों पर होंगे लेकिन बीते कई दिनों में रोजोना सड़क पर पैदल चलते कई मजदूर नजर आए। उनका डर कोरोना नहीं भूख है जो उन्हें बड़े शहरों में खींच लाई थी। कोरोना की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन है और खाने लाले पड़ गए।
दैनिक कामगारों और मजदूरों के लौटने के कदम ने कई राज्य सरकारों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। कोरोना संकट का असर कम होती ही और लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद ठप पड़ी आर्थिक गतिविधि को शुरू करने के लिए सबसे पहले कामगारों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में कामगारों के अपने गांव लौटने के बाद वापस से जनजीवन पटरी पर लौटने के क्रम में इनकी कमी का असर आर्थिक समते कई चीजों पर पड़ सकता है।
ऐसी नौबत से बचने के लिए राज्य सरकारों ने प्रयास तेज कर दिए हैं। कई राज्य सरकारों ने अभी से ही बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में संपर्क किया है और उनसे सहायता मांगी है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किया है कि वे पंजाब में रहने वाले मजदूर लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद अपने घर की ओर रूखसत करने की बजाए पंजाब में ही रहेंगे।
साथ ही अमरिंदर सिंह ने नीतीश कुमार को आश्वासन दिया है कि मजदूरों की हर तरह से सहायता की जाएगी। इसी तरह से तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने भी लॉकडाउन खत्म होने के बाज मजदूरों की कमी से कई क्षेत्र में परेशानियों का सामना करने जैसी आशंका जाहिर की है।