नई दिल्ली। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को साइबर ठगों ने 12 करोड़ का चूना लगा दिया। साइबर ठगों ने चेक क्लोनिंग के जरिए एम्स के दो अलग-अलग बैंक खातों से करीब 12 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। घटना की जानकारी होते ही एम्स प्रशासन में हड़कंप मचा गया। इस घटना के बारे में एम्स ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सूचित कर दिया है।
एम्स प्रशासन और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा इस मामले पर चुप्पी साधे है। एम्स के जिन खातों में सेंध लगी है वो भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में बताए जाते हैं। बैंक ने भी इस मामले में अपने स्तर पर आंतरिक जांच शुरू कर दी है। हालांकि अब तक की जांच में बैंक के हाथ लगा कुछ भी नहीं है।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि यह साइबर क्राइम का मामला है। 12 करोड़ रुपये एम्स के जिन दो खातों से निकाले गए हैं, उनमें से एक खाता एम्स के निदेशक के नाम और दूसरा खाता डीन के नाम का बताया जाता है। साइबर ठगी की इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम चेक-क्लोनिंग के जरिए दिया गया है। एम्स निदेशक वाले खाते से करीब सात करोड़ रुपये और डीन वाले खाते से करीब पांच करोड़ रुपये की रकम निकाले जाने की बात सामने आई है।
करोड़ों रुपये की इस चपत के बारे में एम्स प्रशासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गोपनीय रिपोर्ट में सीधे-सीधे बैंक को जिम्मेदार ठहराया है। उधर घटना के बाद से हड़बड़ाई एसबीआई ने भी देश भर की शाखाओं में अलर्ट जारी कर दिया है। हालांकि साइबर ठगी के इस मामले पर एसबीआई, पुलिस और संबंधित बैंक ने चुप्पी साध रखी है।
वहीं एम्स प्रशासन ने पूरी घटना से दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को भी सूचित कर दिया है। ईओडब्ल्यू भी जांच में जुट गई है। दूसरी ओर एम्स के प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि इतनी बड़ी जालसाजी बिना बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के असंभव है।