लखनऊ। प्रमुख सचिव नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति (Principal Secretary Namami Gange and Rural Water Supply) अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Srivastava) के साथ हुए साइबर ठगी के मामले में आईटी कंसल्टेंट हार्दिक खन्ना को 12 दिन जेल में बिताने के बाद पुलिस ने बेगुनाह माना है। साइबर क्राइम सेल (Cyber Crime Cell)ने कोर्ट में हार्दिक को जेल से रिहा करने के लिए 169 सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट लगाई है। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उन्हें 23 दिसंबर को रिहा किया गया। उनका आरोप है कि इस मामले में आरोपित सत्य प्रकाश ने उन्हें गलत ढंग से फंसाया था।
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बता दें कि अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Srivastava) के क्रेडिट कार्ड (Credit Card) से जालसाजों ने विदेशी मुद्रा में ट्रांजैक्शन (Transactions in Foreign Currency)किया था। हैकरों ने प्रमुख सचिव और उनके परिवार के चार लोगों के ईमेल और क्लाउड डेटा हैक (Cloud Data Hack)कर बिटकॉइन में रंगदारी मांगी थी। इस पर प्रमुख सचिव में साइबर थाने में को रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इस मामले में साइबर क्राइम सेल (Cyber Crime Cell) ने गोमतीनगर रसल कोर्ट निवासी आईटी कंसल्टेंट हार्दिक खन्ना (IT consultant Hardik Khanna) समेत तीन लोगों को 11 दिसंबर को गिरफ्तार कर हुए जेल भेज दिया था।
जानकारी के मुताबिक, मामले की जांच के दौरान साइबर क्राइम सेल (Cyber Crime Cell) को पता चला कि जालसाजी के मास्टरमाइंड जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के आईटी कंसल्टेंट (IT Consultant) सत्य प्रकाश (Satya Prakash) ने हार्दिक खन्ना (Hardik Khanna) के खिलाफ गलत तथ्य दिए थे। जांच में हार्दिक के खिलाफ सबूत नहीं मिले। इस पर साइबर क्राइम सेल (Cyber Crime Cell) ने हार्दिक को रिहा करने के लिए कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी। साइबर क्राइम थाने (Cyber Crime Station)के प्रभारी इंस्पेक्टर मुस्लिम खान (Inspector Muslim Khan)का कहना है कि मास्टरमाइंड सत्य प्रकाश (Satya Prakash) ने फर्जी एविडेंस बनाए थे। जांच में हार्दिक की संलिप्तता पाए जाने पर कोर्ट में रिपोर्ट दी गई और उनको रिहा किया गया।