नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह (45) और शिविंदर सिंह (43) को अदालत की अवमानना का दोषी माना है। मलविंदर-शिविंदर के खिलाफ 3,500 करोड़ रुपए के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड मामले में लड़ रही जापान की दवा कंपनी दाइची सैंक्यो ने दोनों के खिलाफ मार्च में अवमानना याचिका भी दायर की थी।
देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सिंह बंधुओं ने फोर्टिस हेल्थकेयर में अपने शेयर नहीं बेचे जो उसके आदेश का उल्लंघन है। सिंगापुर की ट्राइब्यूनल ने 2016 सिंह बंधुओं को कहा था कि वह दाइची को 3,500 करोड़ रुपये दें। दाइची ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह सिंह बंधुओं से ट्राइब्यूनल के इस आदेश का पालन करवाए।
मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह ने 2008 में रैनबैक्सी को दाइची सांक्यो के हाथों बेच दिया था। बाद में सन फार्मास्यूटिकल्स ने दाइची से 3.2 अरब डॉलर में रैनबैक्सी को खरीद लिया।
इस वर्ष मार्च महीने में दाइची ने सिंह बंधुओं के खिलाफ अदालत की अवहेलना का केस दर्ज करवाया था। उसने अपने आरोप में कहा था कि सिंह बंधु कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए अपनी संपत्ति बेच रहे हैं। जापानी दवा निर्माता कंपनी का आरोप है कि सिंह बंधुओं ने उसे रैनबैक्सी बेचते हुए कई तथ्य छिपाए थे।
बता दें कि शिविंदर सिंह पर 740 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी का आरोप है। गौरतलब है कि बीते अगस्त में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धनशोधन रोधी कानून से जुड़े एक मामले में रैनबैक्सी समूह के पूर्व प्रवर्तकों मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह के परिसरों पर छापेमारी की थी। अधिकारियों ने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज होने के बाद यह छापे मारे गए थे। एजेंसी की इस कार्रवाई को सिंह बंधुओं के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों और उसके बाद उनके कारोबार के पतन से जोड़कर देखा जा रहा है।