जीवन में सफलता और सुख पाने के लिए बहुत ही परिश्रम करना पड़ता है। कभी कभी बहुत परिश्रम के बाद भी हालात नहीं सुधरते है।
Dashamata Vrat 2022 : जीवन में सफलता और सुख पाने के लिए बहुत ही परिश्रम करना पड़ता है। कभी कभी बहुत परिश्रम के बाद भी हालात नहीं सुधरते है। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सर्वसिद्धिप्रद कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि जीवन में सुख और समृद्धि पाने के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु का एक रूप पीपल का वृक्ष भी है। पीपल की पूजा का विधान हिंदू धर्म में युगों युगों से चलता आ रहा है। दशामाता व्रत-पूजन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष् की पूजा विधि विधान से की जाती है।
दशामाता पूजन इस वर्ष 27 मार्च 2022 रविवार को किया जाएगा। इस बार दशामाता के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जो प्रात: 6.28 से दोरह 1.32 बजे तक रहेगा। इस समय काल में दशामाता का पूजन सर्व कार्यो में सिद्धि प्रदान करेगा।
इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठ लगाती हैं और पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करते हुए उसकी पूजा करती हैं। पूजा करने के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर नल दमयंती की कथा सुनती हैं। इसके बाद परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए डोरा गले में बांधती हैं। घर आकर मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है।