नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में रविवार को हुए हिंसक प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने पूरी घटना की जानकारी देते हुए कहा कि हिंसा में पुलिस की तरफ से फायरिंग नहीं की गई है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एमएस रंधावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ अभद्रता की थी, इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी।
डीसीपी ने आगे कहा कि पूरे घटनाक्रम की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है। पुलिस ने अपील की है कि छात्र किसी बहकावे में न आएं, जो लोग दंगे फसाद में शामिल थे सिर्फ उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। पूरे बवाल में 100 से ज्यादा वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया, जिनमें चार डीटीसी की बसें, 2 पुलिस की गाड़ियां शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता और डीसीपी एमएस रंधावा ने कहा की जामिया के कैंपस रोड के दोनों तरफ है। वहां से पुलिस पर पथराव, बोतल और पेट्रोल बम फेंके जा रहे थे। ऐसे हालात में दंगाइयों को काबू करते हुए पुलिस उन्हें पीछे की तरफ खदेड़ रही थी। संभव है उसी दौरान पुलिसकर्मी पीछा करते हुए जामिया कैंपस में दाखिल हो गए हों। डीसीपी ने आगे कहा कि दंगा करने वालों ने पेट्रोल बम से हमला किया था। जामिया मामले में सोशल मीडिया के जरिए अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ पुलिस जांच कर रही है। इसमें जो भी शामिल होंगे उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने रविवार को ट्वीट करके एक फोटो शेयर की थी, जिसमें पुलिस पर बस में आग लगाने की साजिश करने का आरोप लगाया था, उस आरोप को पुलिस ने सरासर गलत बताया है। दिल्ली पुलिस प्रवक्ता का कहना है कि पुलिस बस की आग बुझाने में जुटी थी। डीसीपी ने डिप्टी सीएम को लेकर कुछ नहीं कहा , लेकिन यह साफ किया कि जिसने भी अफवाह फैलाई, उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में एक डीसीपी, एक एसीपी और दो एसएचओ समेत 30 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इनमें से एक पुलिस कर्मी अभी भी आईसीयू में है। 39 प्रदर्शनकारी भी घायल हुए हैं। पूरे घटनाक्रम के बाद न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और जामिया नगर थाने में दंगा फसाद की धाराओं के तहत दो एफआईआर दर्ज की गई हैं।