आदि काल से ही जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए देवी की आराधना की जाती है। देवी धूमावती जयंती के दिन उनकी स्तुति करने वाला ऐश्वर्य का भागी होता है।
लखनऊ: आदि काल से ही जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए देवी की आराधना की जाती है। देवी धूमावती जयंती के दिन उनकी स्तुति करने वाला ऐश्वर्य का भागी होता है। दुःख क्लेश उसके पास फटकते ही नहीं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, मां धूमावती की जयंती का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार आज यानी शुक्रवार 18 जून 2021 को धूमावती जयंती है। देवी धूमावती को भगवान शिव द्वारा प्रकट की गई 10 महाविद्याओं में सातवें स्थान पर रखा गया है। इन्हें पुरुष शून्या, विधवा आदि नामों से भी जाना जाता है।
मां धूमावती का तेज सर्वोच्च कहा जाता है। श्वेतरूप व धूम्र अर्थात धुंआ इनको प्रिय है। आकाश में स्थित बादलों में इनका निवास होता है। देवी को प्रसन्न करने वाले साधक की ख्याति प्रबल महाप्रतापी तथा सिद्ध पुरुष के रूप में हो जाती है। आज के दिन किसी जानकार से पूछकर देवी के मंत्रों का जाप करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
इन मंत्रों से देवी करें प्रसन्न
मोती की माला से नौ माला ‘ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:’ या ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।। धूं धूं धूमावती ठ: ठ:। मंत्र का जाप कर सकते हैं। जप के नियम किसी जानकार से पूछें।