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डीआरडीओ का दावा : तीन दिन में फेफड़े का संक्रमण खत्म करती है ‘2DG’, स्वस्थ होने लगता है मरीज

देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमितों के मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच शनिवार को कोरोना संक्रमितों के लिए एक बेहद राहत वाली खबर आई है। ड्रग्स कंट्रोलर ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा बनाई कोरोना की एक दवा को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। परीक्षणों में विशेषज्ञों को इस दवा के प्रयोग के सफल परिणाम देखने को मिले हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमितों के मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच शनिवार को कोरोना संक्रमितों के लिए एक बेहद राहत वाली खबर आई है। ड्रग्स कंट्रोलर ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा बनाई कोरोना की एक दवा को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। परीक्षणों में विशेषज्ञों को इस दवा के प्रयोग के सफल परिणाम देखने को मिले हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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यह दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोलकर पीना होता है। इस दवा को डीआरडीओ की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला नामिकीय औषिध तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएनएमएएस) ने हैदराबाद के डॉ.रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर विकसित किया है। इस संबंध में जारी एक बयान के मुताबिक पिछले साल शुरुआत में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तैयारियों करने का आह्वान किया गया, जिसके बाद डीआरडीओ ने इस दवा पर काम शुरू किया था।

संकट के समय में वरदान मानी जा रही इस दवा को तैयार करने के पीछे तीन वैज्ञानिकों का दिमाग रहा है। ये हैं डॉ. सुधीर चांदना, डॉ. अनंत नारायण भट्ट और डॉ. अनिल मिश्रा। वरिष्ठ विज्ञानी डा. सुधीर चांदना और डॉ. अनंत भट्ट ने कहा है कि 2-डीजी दवा कोरोना मरीजों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार है। चांदना ने कहा, दो चरणों में किए गए अपने शोध में हमने पाया कि यदि 2-डीजी ड्रग सामान्य दवाओं के साथ मरीजों को दी जाती है, तो ऐसे में मरीज को इस दवा का 30 फीसदी अधिक लाभ पहुंचेगा।

इसकी मदद से कोरोना मरीज दो से तीन दिन में ही स्वस्थ होने लगते हैं। कोरोना वायरस के हमले से कमजोर हुए फेफड़े को यह दवा मजबूत करने में मदद करती है। उन्होंने कहा, इस दवा का उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है और हर राज्य में संभवत इसकी सप्लाई भी की जाएगी।

परीक्षणों में दिखे बेहतर परिणाम

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दवा के तीसरे चरण के परीक्षणों में वैज्ञानिकों ने पाया कि इसका इस्तेमाल अस्पताल में भर्ती मरीजों की सेहत में तेजी से सुधार करने में काफी कारगर हो सकता है। इसके अलावा यह गंभीर मरीजों की मेडिकल ऑक्सीजन पर निर्भरता को भी कम करने में भी सहायक है। महामारी के खिलाफ तैयारियों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर डीआरडीओ ने अप्रैल 2020 में इस दवा को विकसित करने की पहल शुरू की थी।

वायरस को बढ़ने से रोकती है दवा

इनमास ने हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) की मदद से यह प्रयोग शुरू किया था। विशेषज्ञों ने पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करने के साथ वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकने में काफी मददगार साबित हो सकती है।

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