नई दिल्ली। जब 2008 में आईपीएल की शुरुआत हुई तो इंग्लैंड के बहुत से क्रिकेटरों ने इसमें रुचि दिखाई थी। 2009 में इंग्लैंड के खिलाड़ियों केविन पीटरसन और एंड्रयू फ्लिंटॉफ को 7.5-7.5 करोड़ रुपये में खरीदा गया। तो इंग्लैंड की टीम के कई साथी खिलाड़ी केविन पीटरसन से जलन महसूस करने लगे थे। इस बात का खुलासा इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने किया है।
7.5 करोड़ में नीलाम हुए थे पीटरसन
माइकल वॉन ने इस बारे में खुलासा करते हुए कहा कि जब पीटरसन को आईपीएल में 7.5 करोड़ रुपये का अनुबंध मिला तब इंग्लैंड की टीम के कई साथी खिलाड़ी उनसे जल गए थे। पीटरसन को न केवल मोटा पैसा मिला था बल्कि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का कप्तान भी बना दिया गया। हालांकि पीटरसन पूरे सीजन कप्तानी नहीं कर सके लेकिन उनकी वजह से ही रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर उस सीजन फाइनल तक पहुंचने में सफल रही।
इस बारे में चर्चा करते हुए वॉन ने कहा पीटरसन इंग्लैंड के पहले खिलाड़ी थे जिनकी वजह से इस धनाढ्य लीग में खेलने के लिए इंग्लैंड के खिलाड़ियों के रूख में तब्दीली आई थी। वॉन ने कहा, मुझे लगता है कि जब पीटरसन को आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट मिला तब लोगों को बहुत जलन हुई। जब टीम के बाकी खिलाड़ी आईपीएल में खेलने से इनकार कर रहे थे तब पीटरसन को मोटी राशि इसमें खेलने के लिए मिली थी।’
दो भाग में बंट गई थी इंग्लिश टीम
उन्होंने आगे कहा, टीम के अंदर बहुत तरह की कानाफूसी इस बारे में हो रही थी साथ ही कई तरह की अफवाहें भी फैलीं। पीटरसन से जलने वाले खिलाड़ियों का एक समूह था जिसमें ग्रीह्म स्वान, टिम बेनसनस जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड और मैट प्रॉयर थे। अफवाहें थीं कि पीटरसन एक तरफ थे और ये सभी खिलाड़ी एक तरफ। ऐसा लगता था कि आईपीएल में खेलने के मामले में पीटरसन अकेले खड़े थे।
पीटरसन का आईपीएल में खेलने जाने का असली ध्येय अपनी व्हाइ्ट बॉल क्रिकेट में सुधार लाना था। उन्होंने कहा, पीटरसन ने इस बारे में साथी खिलाड़ियों से भी चर्चा की थी और कहा था कि इसमें भाग लेने पर उनके व्हाइट बॉल गेम में सुधार आएगा। लेकिन बाकियों का मानना था कि पीटरसन ने ऐसा सिर्फ पैसों के लिए किया है। वॉन ने ये भी कहा कि जलन की वजह ये भी थी कि इस करिश्माई बल्लेबाज को मोटा अनुबंध मिला लेकिन अन्य खिलाड़ियों कोई पूछ भी नहीं रहा था।
इसके अलावा और कोई चीज नहीं थी जिसने केविन को आईपीएल में खेलने के लिए बाध्य किया। इस तरह टीम में धीरे-धीरे दरार पड़नी शुरू हुई। वो टीम से कह रहे थे कि ऐसा करने से वनडे टीम के खेल में सुधार आएगा और वनडे टीम के खिलाड़ियों को इसमें खेलने से अपना खेल सुधारने का मौका मिलेगा।
इंग्लैंड के खिलाड़ी साल 2015 तक आईपीएल से दूरी बनाते रहे लेकिन जब एंड्रर्यू स्ट्रॉस इंग्लैंड क्रिकेट के निदेशक बने तब उन्होंने खिलाड़ियों को इस लीग में खेलने के लिए प्रेरित किया। इसका फायदा इंग्लैंड को मिला और इसके बाद वनडे टीम की कायापलट हो गई। एक औसत दर्जे की वनडे टीम से इंग्लैंड दुनिया की नंबर एक टीम बनकर उभरी और 2019 में पहली बार वनडे विश्व कप जीतने का सालों पुराना सपना भी पूरा हो गया।