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सरकार ने दिए निर्देश वैक्सीन लगवाने के बाद भी कुछ लक्षण हो सकते है खतरनाक

ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन से ब्लड क्लॉट के साइड इफेक्ट का असर भारत की कोविशील्ड वैक्सीन पर भी पड़ा है. यहां वैक्सीन के साइड इफेक्ट से लोग काफी घबराए हुए हैं। ऐसे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हेल्थ केयर वर्कर्स और वैक्सीन लेने वालों के लिए वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर एडवाइजरी जारी की है।

By प्रीति कुमारी 
Updated Date

इस करोना काल में लोग के मन में डर बना हुआ है। वही वैक्सीन लेने से भी डर रहे है लोग यहां के लोग वैक्सीन के साइड इफेक्ट से काफी घबराए हुए हैं ।लेकिन ये वैक्सीन ही है जो हमें इस करोना जैसे खतरनाक बीमारी से बचा सकता है ।यदि करोना वैक्सीन का कोई गंभीर लक्षण नजर आता है। तो उसे वैक्सीन सेंटर पर जाकर दर्ज कराए

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सूत्रों के मुताबिक, ब्लड क्लॉट के अधिकांश मामले वैक्सीनेशन के पहले सप्ताह के बाद तक देखे गए हैं। ऐसे में वैक्सीन लेने वाले लोगों से 28 दिन के भीतर इसे रिपोर्ट कराने की अपील की गई है। ब्लड क्लॉट के मामलों से जुड़ा डेटा बताता है। कि ब्लड क्लॉट की समस्या महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से देखी गई हैं। उन्होंने ये भी बताया कि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन में किसी तरह के ब्लड क्लॉट की समस्या अभी तक भारत में नहीं देखी गई है।

वैक्सीन लगने के बाद कमजोरी, शरीर के किसी अंग का काम करना बंद कर देना, बिना किसी कारण लगातार उल्टी होना, आंखों में दर्द या धुंधला दिखना, कन्फ्यूजन-डिप्रेशन या मूड स्विंग होना भी सामान्य बात नहीं है। इन सभी लक्षणों के बारे में वैक्सीनेशन सेंटर पर मौजूद हेल्थ केयर वर्कर्स को बताए

एडवाइजरी में लोगों को सलाह दी गई है। कि कोई भी वैक्सीन लेने के बाद लेने के बाद यदि आपको तेज सिरदर्द, छाती में दर्द, शरीर में सूजन, दौरे या सांस लेने में तकलीफ जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं ।तो इन्हें वैक्सीन सेंटर पर जरूर रिपोर्ट करवाए

वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट पर बनी राष्ट्रीय समिति ने कहा है। कि भारत में ब्लड क्लॉट के बहुत कम मामले ही कोविशील्ड के वैक्सीनेशन से जुड़े हो सकते हैं।सूत्रों के मुताबिक, भारत में कोविशील्ड वैक्सीन की प्रति 10 लाख डोज पर डीप वेन थ्रॉम्बोसिस या ब्लड क्लॉट्स के सिर्फ 0.61 फीसद मामले ही देखे गए हैं.

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सूत्रों के मुताबिक, ब्रिटेन के मुकाबले भारत में वैक्सीन से साइड इफेक्ट के मामले बहुत कम देखे जा रहे हैं. इस डेटा का मूल्यांकन करने वाली सरकार द्वारा गठित कमिटी ने ये भी कहा कि पश्चिमी देशों की तुलना में दक्षिण एशियाई लोगों में वैक्सीनेशन के बाद थ्रोम्बोसिस या खून के थक्के बनने की संभावना कम हो सकती है।

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