1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. हौंसले की उड़ान : सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली, दो बच्चों की मां बनी SDM

हौंसले की उड़ान : सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली, दो बच्चों की मां बनी SDM

कहते हैं कि अगर कोई इंसान मन में हौंसला रखते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता रहे, तो उसे सफलता हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है। जोधपुर की सड़कों पर चेहरे पर दुपट्टा बांधकर, हाथों में झाड़ू लेकर सफाई करती इस महिला पर शायद ही किसी की नजर पड़ी हो, लेकिन अब वही स्वीपर एसडीएम बनने जा रही है। इसके किस्मत पलटना ही कहते हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कहते हैं कि अगर कोई इंसान मन में हौंसला रखते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता रहे, तो उसे सफलता हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है। जोधपुर की सड़कों पर चेहरे पर दुपट्टा बांधकर, हाथों में झाड़ू लेकर सफाई करती इस महिला पर शायद ही किसी की नजर पड़ी हो, लेकिन अब वही स्वीपर एसडीएम बनने जा रही है। इसके किस्मत पलटना ही कहते हैं।

पढ़ें :- अखिलेश यादव कन्नौज लोकसभा सीट से लड़ेंगे चुनाव, 25 अप्रैल को करेंगे नामांकन : रामगोपाल यादव

जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी से एसडीएम बनी इस महिला की कहानी हैं। आइए बताते हैं कि कैसे इस लड़की ने अपने हौंसले से कामयाबी की इबारत लिखी है? जोधपुर नगर निगम में झाड़ू लगाने वाली सफाईकर्मी आशा कण्डारा ने यह असंभव कार्य कर दिखाया है। वह नगर निगम में झाड़ू लगाने के साथ साथ खाली वक्त में किताबें लेकर सड़क किनारे ,सीढ़ियों पर जहां भी वक़्त मिलता था, पढ़ाई शुरू हो जाती थी। आज इन्हीं किताबों के जादू ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा में आर एस 2018 में आशा का चयन अब हो गया है। अब वह अनुसूचित वर्ग से SDM के पद पर काबिज होंगी।

बता दें कि आशा की ज़िंदगी में  आठ साल पहले ही पति से झगड़े के बाद दो बच्चों के पालनपोषण की ज़िम्मेदारी आ गई थी। नगर निगम में झाड़ू लगाती थी। मगर सफ़ाई कर्मचारी के रूप में नियमित नियुक्ति नहीं मिल पा रही थी। इसके लिए इसने 2 सालों तक नगर निगम से लड़ाई लड़ीं लेकिन कुछ नहीं हुआ, लेकिन कहते हैं न कि कभी कभी खुश‍ियां भी छप्पर फाड़कर मिल जाती हैं। इसी तरह 12 दिन पहले आशा के साथ भी हुआ।

जोधपुर नगर निगम की तरफ से उनकी सफाई कर्मचारी के रूप में नियमित नियुक्त हुई थी और अब तो राज्य प्रशासनिक सेवा में भी चयन हो गया है। आशा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि दिन में वह स्कूटी लेकर झाड़ू लगाने आती थी। स्कूटी में ही किताब लेकर आती थी। यही काम करते हुए उन्होंने पहले ग्रेजुएशन किया।  फिर नगर निगम के अफ़सरों को देखकर अफ़सर बनने की भी ठान ली। इसी के बाद सिलेबस पता किया और तैयारी शुरू कर दी। उनके लिए कठ‍िन दिनचर्या के बीच ये मुश्क‍िल तो बहुत था, लेकिन उन्होंने हालातों के सामने कभी हार नहीं मानी । आज उन्हें अपना वो मुकाम मिल गया है, जिसका कभी सिर्फ सपना ही देखा था।

पढ़ें :- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भाषण के दौरान हुए बेहोश, जानें अब कैसी है तबीयत?
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...