दिल्ली हाईकोर्ट ने पिंजरा तोड़ गैंग की कार्यकर्ता नताशा नरवाल को तीन सप्ताह की अंतरिम जमानत सोमवार को दी है। उनके पिता का रविवार को कोरोना से निधन हो गया है। पिता महावीर नरवाल का अंतिम संस्कार करने के लिए अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दी है। वह पिछले साल मई से तिहाड़ जेल में बंद है।
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिंजरा तोड़ गैंग की कार्यकर्ता नताशा नरवाल को तीन सप्ताह की अंतरिम जमानत सोमवार को दी है। उनके पिता का रविवार को कोरोना से निधन हो गया है। पिता महावीर नरवाल का अंतिम संस्कार करने के लिए अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दी है। वह पिछले साल मई से तिहाड़ जेल में बंद है।
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने उनकी जमानत अर्जी पर विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलिता देश की एकता, अखंडता और सद्भाव को खतरा पैदा करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ के समक्ष दिल्ली पुलिस की ओर से पेश विशेष अधिवक्ता अमित महाजन ने तर्क रखा था कि नरवाल और कलिता दंगों के दौरान किए जा रहे अपने कृत्यों से भली-भांति अवगत थीं और उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे जो विनाशकारी हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ मामला केवल गवाहों के बयानों पर आधारित नहीं है। इन षड्यंत्रों को कैमरे में दर्ज नहीं किया जा सकता और यह परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के जरिये साबित होता है। आरोपी एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे जो देश की एकता, अखंडता और सद्भाव को खतरा पैदा करने के लिए था। यह जरूरी नहीं है कि उन्हें हर कृत्य में शामिल होने की जरूरत है।
जब तक उन्हें इस बात की जानकारी थी कि उनका कृत्य देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा कर सकता है, वे आतंक रोधी अधिनियम (यूएपीए) की धारा 15 के तहत आते हैं। उन्होंने आरोपियों और अन्य लोगों के बीच व्हाट्सएप चैट का हावाला देते हुए कहा कि आरोपी व्हाट्सएप समूहों का हिस्सा बनने के लिए सहमत हुए और उन्हें हर षड्यंत्रकारी के कृत्यों की जानकारी थी। वह समान रूप से उत्तरदायी हैं।