लखनऊ। प्रदेश मे लगातार महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं के बावजूद भी सरकार उनके प्रति संजीदा नहीं है। यहीं वजह है कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए चलाई गई 181 रेस्क्यू वाहन अव्यवस्थाओं के भेंट चढ़ गए। आलम ये कि इसमें काम करने वाले सैकड़ों लोगों को पिछले नौ महीने से वेतन नहीं मिला है, यही नहीं वाहनों में डीजल की भी व्यवस्था नहीं कराई जा रही है।
बता दें कि महिलाओं के मुसीबत में फंसने पर उनकी मदद के लिए सरकार ने वर्ष 2017 में 181 महिला हेल्पलाइन शुरू किया था। जिसके तहत प्रत्येक जिले को एक वाहन दिया गया था। 181 नंबर पर जैसे ही किसी महिला का फोन आता था, तो टीम तुरन्त वाहन लेकर उसकी मदद के लिए पहुंच जाती थी। खास बात ये है कि इस टीम में सिर्फ महिलाएं ही तैनात होती थी।
इन टीमों में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि पिछले कई महीनों से उन लोगों को वेतन नहीं दिया गया है, न ही उनके वाहनों में डीजल डलवानें के लिए पैसा हैं। वेतन न मिलने की वजह से कर्मचारियों को परिवार चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि प्रदेश में 181 महिला हेल्पलाइन के लिए कुल 30 काल सेंटर बनाए गए थे, जिसमें रोजाना करीब 50 फोन आते थे। कॉल सेंटर में तैनात कर्मी तुरन्त सम्बंधित जिलों को सूचित करते थे और टीम वहां मदद के लिए पहुंच जाती थी। अब डीजल न मिल पाने के कारण सभी मामलों में फोन से ही काम चलाया जा रहा है। इस मामले में महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज राय का कहना है कि बजट के अभाव में गाड़ियों का संचालन नहीं हो पा रहा है। शासन को इस मामले की जानकारी दे दी गई है, जिसको लेकर बाचतीत भी चल रही है। उन्होने उम्मीद जताई कि जल्द ही बजट प्राप्त होने पर गाड़ियों फिर से चलने लगेंगी।