मुंबई। 1960 में रोमांस से भरे किरदार निभाने वाले एवरग्रीन एक्टर देवानंद का आज जन्मदिन है। देवानंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को हुआ। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में देवानंद को रोमांस, स्टाइल और दिल छू लेने वाले किरदार को बखूबी निभाया है। आज भले ही वो 88 साल के हो चूकें हैं। मगर फिल्म इंडस्ट्री में उन्होने जो पहचान बनाई है उसके चलते आज भी करोड़ों फैंस के बीच वो जिंदा है। इस खास मौके पर आज हम आपको उनकी ज़िंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहें हैं।
बता दें कि देवानंद का असली नाम धरमदेव पिशोरीमल आनंद था लेकिन उन्हें देवानंद के नाम से बॉलीवुड में पहचान मिली। उनका जन्म पंजाब में हुआ। परिवार के लोग उन्हें प्यार से चिरु बुलाते थे। देवानंद ने अपने करियर की शुरुआत 85 रुपए महीना बतौर अकाउंटेंट की नौकरी से शुरू किया था। उनकी पहली फिल्म ‘हम एक है’ एक हीरो तौर पर साल 1946 में आई।
देवानंद का एक अलग मोनोलॉग और स्टाइल था जिसे लोग काफी पसंद करते थे। साल 1949 में, देवानंद ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी नवकेतन फिल्म शुरू किया। यह उनके भतीजे केतन के नाम पर था। देवानंद ने गुरु दत्त को हिंदी फिल्मों में ब्रेक दिया। देवानंद अपने टाइम के मोस्ट हैंडसम हीरो थे। कहा जाता है कि उनको ब्लैक कपड़े पहनने पर मनाही थी। इस तरह की अफवाहें तब उड़ती जब लड़कियां उन्हें काले कपड़ों में देखने के लिए छत पर से कूद जाया करती थीं।
उनकी निजी ज़िंदगी की बात करें तो देवानंद का पहला प्यार सुरैया थी। साल 1948 में विद्या फिल्म की शूटिंग के दौरान अपनी जान पर खेलकर सुरैया को डूबने से बचाया। इसके बाद इनकी प्रेम कहानी शुरु हुई थी। साल 1949 में फिल्म ‘जीत’ के सेट पर देवानंद ने 3000 रुपए की अंगूठी के साथ सुरैया को प्रपोज किया था। लेकिन सुरैया की दादी ने इसे रिश्ते को मंजूरी नहीं दी। जिसका सबसे बड़ा कारण देव आनंद का हिंदू और सुरैया का मुस्लिम होना था।
साल 1954 में आई फिल्म टैक्सी ड्राइवर के दौरान देवानंद कल्पना कार्तिक से प्यार करने लगे और दोनों ने लंच ब्रेक के दौरान गुपचुप तरीके से शादी कर ली। देवानंद से शादी के बाद कल्पना ने एक्टिंग छोड़ने का फैसला किया। बतौर कपल इन दिनों की आखिरी फिल्म ‘नौ दो ग्यारह’ रही।