नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने योगी सरकार से तलब की थी रिपोर्ट, स्टैंडिंग कॉउन्सिल ने अदालत में जुबानी दिया आज़म पर कार्यवाई का ब्यौरा तो अदालत ने कहा दो हफ़्ते में हलफ़नामा देकर बताए अब तक क्या कार्यवाई हुई।
फैसल खान लाला ने बताया कि हमने गरीबों को इंसाफ दिलाने के लिए अपने अधिवक्ता एच.एन सिंह और सुरेश मौर्य के माध्यम से आज़म खान और उनके जौहर ट्रस्ट के खिलाफ सीबीआई जांच को उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में पीआईएल दाख़िल की थी। जिस पर माननीय चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और माननीय न्यायाधीश सुमित गोपाल की बेंच ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से पूरे मामले की रिपोर्ट 29 जनवरी को तलब की थी। जिस पर सरकार के वकील ने आज बहस के दौरान आज़म पर सरकार की कार्यवाई का ब्यौरा ज़बानी बताया। तो अदालत ने असहमति जताते हुए योगी सरकार को दो हफ़्ते के अंदर अब तक आज़म पर की गई कार्यवाई को हलफ़नामे पर देने को कहा है।
फैसल लाला का कहना है कि आज़म खान ने अपनी पत्नी तंज़ीम फ़ात्मा को राज्यसभा सदस्य पद से इस्तीफा दिलाकर सरकार से समझौता कर लिया है इसलिए आज़म सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दे पर भी चुप हैं तो सरकार भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर रही है, उनके खिलाफ 80 से ज़्यादा मुकदमें दर्ज हैं, अदालत ने अनेकों मामलों में गिरफ्तारी वारंट और कुर्की के आदेश दे रखे हैं। फिर भी सरकार उनको गिरफ्तार नही कर रही है। हमने सीबीआई जांच को पीआईएल दाख़िल की तो आनन-फानन में सरकार ने किसानों की ज़मीने आज़म से कब्ज़ा मुक्त कराईं हैं। लेकिन अभी उनके कब्ज़े से यतीमों और वक्फ़ की संपत्तियों को कब्ज़ा मुक्त कराना बाक़ी है।
फैसल लाला ने कहा सीएए का विरोध करने वालों को झूठे मुकदमों में जेल में डाला जा रहा है। और आज़म खान पर सरकार कार्रवाई नही कर रही है इसी को लेकर हमने गरीबों को इंसाफ दिलाने को हाईकोर्ट में पीआईएल दाख़िल की है। जिसमें हमने माननीय उच्च न्यायालय से गुज़ारिश की है कि आज़म और जौहर ट्रस्ट के पूरे मामले को सीबीआई के हैंडओवर किया जाए क्योंकि मुसलमानों के नाम पर बना जौहर ट्रस्ट एक धोखा और फ़र्ज़ीवाड़ा है।
जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए ऐसा ट्रस्ट बनाया गया है। जिसमें सिर्फ़ आज़म खान के परिवार के लोग ही शामिल हैं जिसको आज़म खान ने शिक्षा के नाम से जोड़कर हज़ारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा किया है। कहा जौहर यूनिवर्सिटी एक शैक्षिक संस्थान हैं इसको दृष्टिगत रखते हुए सरकार या न्यायालय यह व्यवस्था दे कि शैक्षिक संस्थान की अस्मिता पर कोई आंच न आए।
पिछली सपा सरकार ने बड़े पैमाने पर इस घोटाले में आज़म की मदद की थी और रामपुर में कमज़ोर मुसलमानों पर न सिर्फ़ ज़ुल्म किये थे बल्कि उनको उजाड़ कर उनकी ज़मीनों पर आज़म खान को कब्ज़ा दिलाया था। इसलिए अब गरीबों को सिर्फ़ अदालत पर ही भरोसा है कि अदालत आज़म के खिलाफ सीबीआई जांच कराकर गरीबों को इंसाफ़ दिलाएगी।
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