नई दिल्ली। प्रसिद्ध साहित्यकार और ज्ञानपीठ अवॉर्ड से सम्मानित हुई 94 वर्षीय कृष्णा सोबती का शुक्रवार को निधन हो गया। अपनी रचनाओं में महिला सशक्तिकरण और स्त्री जीवन की जटिलताओं का जिक्र करने वाली कृष्णा का जन्म 18 फरवरी 1925 को वर्तमान पाकिस्तान के एक कस्बे में हुआ था।
सोबती को राजनीति-सामाजिक मुद्दों पर अपनी मुखर राय के लिए भी जाना जाता है। 2015 में देश में असहिष्णुता के माहौल से नाराज होकर उन्होंने अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड वापस लौटा दिया था। उनके निधन के बारे में उनकी रिश्तेदार अभिनेत्री एकावली खन्ना ने बताया कि ‘आज यहां एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। पिछले कुछ महीनों में उनकी तबीयत खराब चल रही थी और अक्सर अस्पताल उन्हें आना-जाना पड़ता था। उन्होंने पिछले महीने अस्पताल में अपनी नई किताब लॉन्च की थी। अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद वह हमेशा कला, रचनात्मक प्रक्रियाओं और जीवन पर चर्चा करती रहती थी।’
किस उपन्यास के लिए हुयी सम्मानित
सोबती को अपनी ‘जिंदगीनामा’ उपन्यास के लिए 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। भारतीय साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें 2017 में ज्ञानपीठ से भी सम्मानित किया गया था। सोबती को उनके 1966 के उपन्यास ‘मित्रो मरजानी’ से ज्यादा लोकप्रियता मिली, जिसमें एक विवाहित महिला की कामुकता के बारे में बात की गई थी।