नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू महिला की मुस्लिमपुरुष से शादी और उसके बाद जन्मी संतान के अधिकार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष की शादी न तो ‘नियमित है और न ही वैध’ लेकिन इस शादी से पैदा हुई संतान वैध है और वह अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने का हकदार है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि कानूनन इस तरह की शादी में महिला भत्ता पाने की हकदार तो है लेकिन उसे अपने पति की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के अनियमित विवाह का कानूनी प्रभाव यह है कि पत्नी पति की संपत्ति पर अपना दावा नहीं ठोक सकती है। एक संपत्ति विवाद में SC ने यह फैसला सुनाया। आपको बता दें कि जस्टिस एनवी रमण और जस्टिस एमएम शांतनगौदर की पीठ ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसके तहत HC ने कहा था कि दंपती (मोहम्मद इलियास और वल्लीअम्मा) का बेटा जायज है तथा कानून के मुताबिक पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने का हकदार है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि चूंकि हिंदू मूर्ति पूजक होते हैं इसलिए साफ है कि किसी हिंदू महिला का एक मुस्लिम पुरुष के साथ विवाह अनियमित है। संपत्ति को लेकर दायर किए गए मामले में इलियास और वल्लीअम्मा के बेटे शमसुद्दीन ने अपने पिता की मौत के बाद पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा किया था।