नई दिल्ली। जम्मू व कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद नजरबंद हुए राजनीतिक दलों के नेता जल्द ही रिहा हो सकते हैं। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को संसद की एक समिति को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं तथा पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा किया जाएगा लेकिन इसके लिए उन्होंने कोई समय सीमा नहीं बताई। यह जानकारी सूत्रों ने दी।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति को केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार और अन्य अधिकारियों ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हालात से अवगत कराया। समझा जाता है कि समिति के कुछ सदस्यों ने सरकारी अधिकारियों से कहा कि उन्हें कश्मीर जाने दिया जाने दिया जाना चाहिए, लेकिन इस मांग को खारिज कर दिया गया।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि जिन्हें जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है वे इसे अधिकृत न्यायाधिकरण में चुनौती दे सकते हैं और उसके आदेश से अंसतुष्ट होने पर उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। अब्दुल्ला एकमात्र नेता हैं जिन्हें कश्मीर में पीएसए कानून के तहत हिरासत में रखा गया है।
सूत्रों के मुताबिक सांसदों ने लंबे समय तक अब्दुल्ला के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को लंबे समय तक हिरासत में रखने का विरोध किया। दोनों पांच अगस्त से हिरासत में हैं जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था।
उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में अब स्थिति सामान्य होती जा रही है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तरों में सामान्य तरीके से कामकाज हो रहा है। सड़क एवं रेल मार्ग, सब खुल गए हैं। दूरसंचार सेवाओं पर लगी पाबंदी भी लगभग खत्म हो चुकी है। कुछ संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से इंटरनेट पर छोटे अंतराल के लिए पाबंदियां जारी हैं।
नए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भी पूरी तरह से शांति है। विकास योजनाओं पर भी तेजी से काम शुरू हुआ है। इस संसदीय समिति में राज्यसभा के नौ और लोकसभा के 21 सदस्य हैं और इसकी अध्यक्षता आनंद शर्मा ने की। केंद्रीय गृह सचिव ए.के. भल्ला के साथ अतिरिक्त सचिव जम्मू व कश्मीर और दूसरे अधिकारी भी मौजूद रहे।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव भल्ला ने संसदीय समिति के समक्ष कहा, ‘जम्मू कश्मीर और लद्दाख के अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वहां बड़े स्तर पर विकास योजनाएं शुरू की गई हैं। लोगों के साथ नियमित बैठक की जा रही हैं। सेब एवं दूसरे व्यवसायों पर सरकार की नजर है।’