कोरोना ने पूरे विश्व में कहर बरपा रखा है। यूरोपीय देशों में सामाजिक और आर्थिक हालात बदल रहे है। इन बदलावों से भारत भी अछूता नहीं है। लगभग सभी देशों ने कोरोना को रोकने के लिए एहतियात बरतने भी शुरू कर दिये। कोरोना को बढ्ने से रोकने के लिए ज़्यादातर देशों ने लॉकडाउन किया है जिसकी वजह से सभी व्यावसायिक स्थितियाँ अब बदल रही है। अगर भारत की बात करें तो प्रधानमंत्री मोदी के देशवासियों को सम्बोधन के बाद पूरे भारत में लॉकडाउन करने का आदेश दिया गया। जिसके बाद भारत की सभी कंपनियों में ताले लगा दिये गए, उसमें काम कर रहे सभी मजदूरों को छुट्टी पर भेज दिया गया। जिसकी वजह से भारत में उद्योगों पर खासा असर भी देखने को मिलता दिख रहा है।
इस सर्वे के अनुसार, कंपनी प्रमुखों का मानना है कि वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में रेवेन्यू 10 फीसदी से अधिक और मुनाफा 5 फीसदी से अधिक घट सकता है। यही हाल वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भी रह सकता है। ज्यादातर भारतीय कंपनियों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के बाद उनके रेवेन्यू और मुनाफे का गणित बिगड़ सकता है। इसका खुलासा एक इंडस्ट्री सर्वे से हुआ है। यह सर्वे तमाम इंडस्ट्रीज के बीच किया गया था, जिसमें 200 कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
यह सर्वे भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने करवाया था। सर्वे में शामिल आधी कंपनियों ने माना कि गत वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में यह गिरावट आएगी, जबकि दो-तिमाही कंपनियों ने माना कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इस गिरावट की धारणा दर्ज की है। सर्वे में शामिल 52 फीसदी सीईओ ने माना कि 15 से 30 फीसदी तक नौकरियां जा सकती हैं। करीब 80 फीसदी कंपनियों के पास माल पड़ा है, जिसमें से 40 फीसदी का मानना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनका सामान एक महीने से अधिक चल सकता है। सीआईआई ने कहा कि यह दर्शाता है लॉकडाउन के बाद भी मांग में कमजोरी रहने वाली है।
आपको बता दें कि जो कंपनियां जरूरी चीजों के उत्पादन, वेयरहाउसिंग व वितरण और मानव संसाधन से जुड़ी हैं, उनके लिए आगे दो सबसे बड़ी समस्याएं खड़ी हो रही हैं। भारतीय कंपनियां राहत पैकेज की मांग कर रही हैं। इंडस्ट्रीज को विपरीत परिस्थितियां नजर आ रही हैं। एक रिपोर्ट में छपी खबर के अनुसार सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बैनर्जी ने कहा, “सरकार इंडस्ट्री के लिए भी राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है और इसे तेजी से लागू कर सकता है। लॉकडाउन ने इंडस्ट्री को काफी प्रभावित किया है और रिकवरी पर अस्थिरता के बादल छंटनी के संकेत दे रहे हैं।”
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने सरकार से शेयर बाजार से एलटीसीजी टैक्स और बायबैक पर लगने वाले टैक्स को हटाने की मांग की है। भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) ने एनबीएफसी के लिए अतिरिक्त लिक्विडिटी की मांग भी की है। आपको बता दें कि इंडिया वेव ने पहले ही ये खबर की थी कि भारत पर लॉक डाउन का क्या असर देखने को मिलेगा। उसके अनुसार यदि भारत ने कड़ाई से लॉकडाउन का पालन किया तो इस मुश्किल हालात से निपटने में और देशों की अपेक्षा भारत जल्दी ही अपनी सही परिस्थिति में आ सकता है। इसमें भी कोई शंका नहीं कि भारत सभी देशों के लिए एक आशा की किरण भी बन कर उभरेगा।