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कोतवालेश्वर महादेव मंदिर पर कोतवाल ने नहीं टेका माथा तो ज्यादा दिन टिकती है कुर्सी, जानें क्‍या है मान्यता?

यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थित कोतवालेश्वर महादेव मंदिर चौक कोतवाली के परिसर में बना हुआ है। इस मंदिर का दर्शन किए बगैर इस कोतवाली में आने वाला कोई भी इंस्पेक्टर अपनी कुर्सी पर नहीं बैठता है। मान्यता है कि सभी जाति और धर्म के कोतवाल जब भी चौक कोतवाली में तैनाती पाते हैं, तो सबसे पहले कोतवालेश्वर महादेव के दर्शन करते है।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थित कोतवालेश्वर महादेव मंदिर चौक कोतवाली के परिसर में बना हुआ है। इस मंदिर का दर्शन किए बगैर इस कोतवाली में आने वाला कोई भी इंस्पेक्टर अपनी कुर्सी पर नहीं बैठता है। मान्यता है कि सभी जाति और धर्म के कोतवाल जब भी चौक कोतवाली में तैनाती पाते हैं, तो सबसे पहले कोतवालेश्वर महादेव के दर्शन करते है। वहीं, जो इनके दर्शन किए बगैर कुर्सी पर बैठ जाता है, वह ज्यादा दिन तक कुर्सी पर नहीं टिक पाता।

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आजादी से पहले चौक कोतवाली के गेट पर एक पीपल के पेड़ के नीचे बाबा विराजे थे। दशकाें पुराने इस मंदिर में दो शिवलिंग हैं। दोनों पर एक साथ शिवार्चन करने से बाबा प्रसन्न होते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विशाल गौड़ ने बताया कि इस 1905 में कोतवाली की स्थापना हुई थी, जो कि नवाबों की जमीन पर की गई थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर पंडित दीनानाथ दुबे ने 1975 में यहां पर शिवलिंग की स्थापना करवाई थी। वह बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे। शिवलिंग की स्थापना के वक्त तत्कालीन सभी पुलिसवाले मंदिर में मौजूद थे। इसके बाद इस मंदिर का सौंदर्यीकरण कराने के लिए सभी पुलिसवालों ने चौक के प्रतिष्ठित व्यापारियों से मिलकर बैठक की और सभी से चंदा लेकर इस मंदिर का सौंदर्यीकरण कराया । 1980 में लखनऊ के एसएसपी रहे एसएन नागा ने इस मंदिर का नामकरण करते हुए इसे कोतवालेश्वर महादेव मंदिर का नाम दे दिया।

पुलिसवालों के हाथों से होती है स्थापना

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में कोई भी नई मूर्ति की स्थापना होती है तो वह तब तक अपनी स्थान पर नहीं पहुंचती जब तक कि इस थाने के पुलिसवाले उसे हाथ ना लगाएं । मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विशाल गौड़ की मानें तो 1985 में जयपुर से बजरंगबली की विशाल मूर्ति मंगाई गई थी । उसे यहां विराजमान करना था। जब इसे विराजमान करने लगे तो जो मूर्ति पहले हल्की लग रही थी, वही बाद में भारी लगने लगी । जब काफी मशक्कत के बाद ही मूर्ति नहीं उठी तो थाने से संपर्क करके सभी पुलिसवालों को बुलाया गया । वहीं, पुलिसवालों ने जैसे ही मूर्ति को हाथ लगाया, तो मूर्ति अपनी जगह विराजमान हो गई । बजरंगबली की मूर्ति में करीब 4 से 5 कुंटल सिंदूर लगा हुआ है । हर मंगलवार और शनिवार को यहां पर हनुमान जी का श्रृंगार भी किया जाता है।

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इसके अलावा सावन के महीने में इस मंदिर में रुद्राभिषेक रोजाना होता है ,जिसका समय 8ः30 बजे से लेकर 10 बजे तक होता है। इस मंदिर में रोजाना रात 9ः00 बजे आरती होती थी, लेकिन सावन के चलते अभी आरती रात 10 बजे हो रही है। मंदिर खुलने का समय सुबह 7ः00 बजे है. इसके बाद दोपहर 1ः 00 बजे बंद हो जाता है। फिर शाम 4ः 30 बजे से लेकर रात 10ः30 बजे तक खुला रहता है।

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