भारत अगले कुछ दिनों में एक ऐसे फैसला ले सकता है जो चीन के लिए बड़ा झटका साबित होगा। ‘वन चाइना पॉलिसी’ को मानने वाला भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) में ताइवान का समर्थन कर सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कम से कम सात देशों के साथ एक ग्रुप कॉल में हिस्सा लिया था। विदेश सचिव ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ कोरिया और वियतनाम के अपने समकक्षों के साथ 20 मार्च से हुई इन कॉल्स में बात की है।
WHO में ताइवान को शामिल करने पर चर्चा
इस बात पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चर्चा जारी है कि क्या ताइवान को एक पर्यवेक्षक के तौर पर डब्लूएचओ की मीटिंग में हिस्सा लेने दिया जाए या नहीं? सूत्रों की मानें तो अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इस बात पर सहमत हैं डब्लूएचओ को ताइवान को पर्यवेक्षक के तौर पर जगह देनी चाहिए। इन देशों का मानना है कि ताइवान का इनपुट एक पर्यवेक्षक के तौर पर काफी महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण है। इन देशों की तरफ से डब्लूएचओ को जो डेमार्श जारी किया गया है उस पर कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम ने भी साइन किए है। 18 मई को कोविड-19 पर डब्लूएचओ की मीटिंग होने वाली है। इसी मीटिंग में ताइवान पर कोई फैसला लिया जाएगा। भारत और ताइवान के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में आगे बढ़े हैं। लेकिन चीन के साथ रिश्ते ताइवान की तुलना में कहीं ज्यादा बड़े स्तर पर हैं।
चीन हुआ आग बबूला
भारत की ओर से ताइवान की मदद पर चीन आग बबूला हो गया है. भारत में मौजूद चीनी दूतावास ने कहा कि इस मामले का प्रबंध ‘वन-चाइना प्रिंसिपल’ (वन-चाइना सिद्धांत) को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए. चीन के मुताबिक डब्लूएचओ सहित उसकी सभी गतिविधियों में ताइवान क्षेत्र की भागीदारी पर चीन की स्थिति स्पष्ट और सुसंगत है. उन्होंने कहा कि ताइवान चीन का अभिन्न अंग है इसलिए इसे वन चाइना सिद्धांत के अुनसार ही संभाला जाना चाहिए.
ताइवान ने चीन को दुनिया के सामने किया था बेनकाब
गौरतलब है कि ताइवान ही वह देश है जिसने कोरोना वायरस पर चीन को दुनिया के सामने बेनकाब किया है. ताइवान ने सबसे पहले डब्ल्यूएचओ और दुनिया को आगाह किया था कि चीन से दुनिया में इंसानों में फैलने वाला वायरस फैल रहा है. बता दें कि भारत की कोशिशों के बीच चीने ने भी अपने साथी देशों के साथ बात करनी शुरू कर दी है. चीन की पूरे कोशिश है कि डब्ल्यूएचओ या फिर डब्ल्यूएचए जैसे कोई भी संगठन ताइवान को चीन से अगल देश न मानें.