नई दिल्ली। भारतीय सेना जल्द ही अरुणाचल प्रदेश के पास स्थित चीन सीमा पर अत्याधुनिक अमेरिकी हथियारों की तैनाती करेगी। इनमें चिनूक हेलिकॉप्टरों समेत एम777 अल्ट्रालाइट हॉविट्जर्स भी शामिल हैं। अरुणाचल प्रदेश में होने वाले इस युद्धाभ्यास के जरिए शायद भारत चीन को ठोस संकेत देना चाहता है। हाल ही में ऐसी खबरें आई हैं कि चीन के सैनिकों ने लद्दाख के इलाकों में भारतीय सैनिकों के साथ उलझने की कोशिश की थी। योजना के मुताबिक सेना युद्धाभ्यास के लिए वो सारी तैयारियां कर रही है, जिससे असल लड़ाई की अनुभव किया जा सके।
मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, चीन की सीमा पर चलाये जाने वाले इस अभियान का नाम हिम विजय रखा गया है। दरअसल, इस युद्धाभ्यास की शुरुआत नॉर्थ ईस्ट 17माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स की युद्ध क्षमताओं परखने के लिए की जायेगी। इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायुसेना को भी शामिल किया गया है। वायुसेना मुख्य रूप से युद्ध के समय हवा से प्रदान की जाने वाली सहायता उपलब्ध करायेगी।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हिमविजय अभ्यास के दौरान 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को एम777 हॉवित्जर उपलब्ध करायी जायेगी। इसमें सैनिक इसका इस्तेमाल ठीक वैसे ही करेंगे, जैसे युद्ध के दौरान दुश्मन के खिलाफ होता है। इस युद्धाभ्यास में अमेरिका से मिले चिनूक हेलीकॉप्टर को भी शामिल किया जायेगा। इस अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर को सेना में इसी साल 25 मार्च को शामिल किया गया था।
एम777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर की खासियत
बता दें कि एम777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोप विशेष रूप से दुर्गम पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए ही बनाए गए हैं। सेना के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, ‘हिम विजय युद्धाभ्यास के दौरान 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को एम777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर मुहैया कराए जाएंगे, क्योंकि वे ‘दुश्मन’ के लोकेशन के खिलाफ अटैक मोड में रहेंगे और उन्हें हल्के तोपों की जरूरत पड़ेगी।’ एम777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर को के-9 वज्र और धनुष हॉवित्जर के साथ नाशिक के पास देवलाली में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। भारतीय सेना में कुल 145 एम777 हॉवित्जर शामिल होने हैं।
चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर की विशेषता
इस युद्धाभ्यास में हाल ही में वायुसेना में शामिल किए गए अमेरिकी चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर के भी इस्तेमाल की योजना है। इन हेलिकॉप्टरों को इसी साल 25 मार्च को चंडीगढ़ एयरबेस पर औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। सेना के सूत्र ने कहा है ‘चिनूक को अभी तक एयरफोर्स ने नॉर्थ-ईस्ट में शामिल नहीं किया है, लेकिन भविष्य में एक समय पर उस क्षेत्र में भी शामिल करने की योजना है। इसलिए उन्होंने युद्धाभ्यास के दौरान हेलिकॉप्टरों के इस्तेमाल का आग्रह किया गया है।’
गौरतलब है कि अत्यधिक कम वजनी होने के चलते एम777 हॉवित्जर का इस्तेमाल मुख्यतौर पर पहाड़ी इलाकों में करने के लिए है और इसे चिनूक हेलिकॉप्टरों के जरिए लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे ऊंचे पहाड़ी इलाकों में आसानी से एयरड्रॉप किया जा सकता है।