लखनऊ। लखनऊ के हुसैनगंज में सोमवार सुबह बाइक सवार दो बदमाशों ने सरेआम रेलकर्मी शाहनवाज को गोली मार दी थी। उसे गंभीर हालत में ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। जिंदगी-मौत से जूझ रहे शहनवाज ने मंगलवार को दम तोड़ दिया। पुलिस ने उसका शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया है। वहीं शहनवाज की हत्या में हुसैनगंज लोको चौकी इंचार्ज जितेंद्र वर्मा को लाइन हाजिर किया गया था। आपको बता दें कि पूरी घटना एक दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी।
ध्यान रहे हुसैनगंज में एपी सेन रोड पर सोमवार की सुबह बाइक सवार बदमाशों की गोलियों से घायल हुए रेलवेकर्मी शहनवाज और उसके चचेरे भाई असकरी के बीच 17 साल से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। दोनों पक्षों में अक्सर झगड़ा व तनातनी होती रहती थी। दो महीने से शहनवाज को धमकियां दी जा रही थीं। उसके भाई बहार आलम का कहना है कि पांडेयगंज चौकी में शिकायत भी की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस ने बताया कि शहनवाज चार भाईयों में तीसरे नंबर का था। उसके बड़े भाई नूर आलम की तीन साल पहले मौत हो चुकी है। दूसरे भाई वकार और छोटा भाई बहार आलम के साथ शहनवाज और उसकी पत्नी सना और दो बच्चे गौसगंज स्थित पैतृक मकान में रहते हैं। इसमें चचेरे भाई ठाकुरगंज के सज्जादिया इमामबाड़ा निवासी व अधिवक्ता असकरी और उसके भाई-बहनों का भी हिस्सा है। असकरी उनके हिस्से पर कब्जा करना चाहता है। कई बार वह उससे व भाइयों को कमरे खाली करने के लिए धमकी दे चुका है। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
शहनवाज ही केस की पैरवी कर रहा था। बहार ने बताया कि दो महीने में असकरी ने कई बार उसे व शहनवाज को धमकाया। बकौल बहार आलम, उसके भाई ने पांडेयगंज चौकी जाकर शिकायत की तो पुलिस ने तहरीर देने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। कहा कि अगर पुलिस कार्रवाई करती तो शायद शहनवाज पर हमला न होता।
पुलिस ने बताया वारदात में .30 बोर की पिस्टल इस्तेमाल की गई थी। ऐसी पिस्टल ज्यादातर प्रोफेशनल शूटर ही इस्तेमाल करते हैं। मौके से पुलिस को पांच खोखे मिले हैं, जिन्हें फॉरेंसिक जांच को भेजा गया है। एसएसपी ने बताया कि वारदात के खुलासे के लिए पांच टीमें बनाई गई हैं।
पुलिस रेलवेकर्मी मो. शहनवाज पर जानलेवा हमले के पीछे लेनदेन व अन्य विवाद भी खंगाल रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शहनवाज का चचेरे भाई मो. असकरी से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था और उसके भाई बहार आलम ने एफआईआर में उसे आरोपी भी बनाया है। इसके बावजूद पुलिस सभी पहलुओं पर पड़ताल कर रही है। हो सकता है कि हमले के पीछे कोई और वजह हो। शहनवाज के दफ्तर से भी जानकारियां जुटाई जा रही हैं। कहीं उसका लेनदेन या अन्य किसी वजह को लेकर तो विवाद नहीं चल रहा था, यह भी पता लगाया जा रहा है।