लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ वह ताबड़तोड़ कार्रवाई करने में जुटे हैं। लेकिन इन सबके बीच भी कुछ अधिकारी उनकी शाख खराब करने की कोशिश में जुटे हैं। मामला इंवेस्टर्स समिट 2018 से जुड़ा है, जहां अतिथियों के लिए बुक किए गए खाली कमरों का भी भुगतान कराने का मामला प्रकाश में आया है। इस पूरे खेल में पर्यटन निदेशालय के कर्मचारी पारिजात पांडेय की भूमिका सवालों के घेरे में है।
अफसरों के इशारे पर पारिजात इंवेस्टर्स समिट में खेल करता गया। यहां तक की शहर में होटल बुक कराने से लेकर उनके भुगतान तक का भी काम कराया। इसके जरिए उसने खाली कमरों का भी भुगतान करा लिया। जबकि नियमानुसार यह था कि जो मेहमान इंवेस्टर्स समिट में आए हैं अगर वह होटलों के कमरे में रूकते हैं तो केवल उन कमरों के ही रुपये होटल मालिक को दिया जायेगा।
इंवेस्टर्स समिट में भ्रष्टाचार उजागर होने पर जांच कमेटी गठित की गई, जिसमें पारिजात पांडेय को दोषी पाया गया। इसके बाद पारिजात को गैरजनपद में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। हैरत की बात यह है कि ऐसे गंभीर मामले में भी न तो सरकारी पैसेे के दुरुपयोग की वसूली का कोई फरमान जारी किया गया और न ही दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
पर्यटन विभाग के पास था होटलों की व्यस्था का जिम्मा
इंवेस्टर्स समिट में आने वाले मेहमानों को शहर में रूकने के लिए होटालों की बुकिंग का जिम्मा पर्यटन विभाग के पास था। औद्योगिक विकास मंत्री की अध्यक्षता में बाकायदा नियमावली बनी। निर्धारित किया गया की लखनऊ के होटलों में अतिथियों के लिए 1279 कमरे और 54 सूट बुक करवाए जाएं। यह भी तय किया गया कि जिन कमरों में अतिथि रुकेंगे उन्हीं कमरों का भुगतान किया जायेगा। कमरे तीन दिनों के लिए बुक किए गए। हालांकि, इस दौरान खाली कमरों का भी भुगतान करा दिया गया था।
आखिर कौन है पारिजात और किसकी है मेहरबानी?
होटलों की बुकिंग से लेकर खाली कमरों के भुगतान कराने में पर्यटन निदेशालय के कर्मचारी पारिजात पांडेय की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर पारिजात पांडेय कौन है और किसकी शह पर होटल की बुकिंग से लेकर भुगतान तक का खेल किया? आखिर कौन है जो इस मामले में पारिजात पर कार्रवाई करने से बचा रहा है?