नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी अधिकारी जीएल सिंघल और सोहराबुद्दीन शेख मामले में हाल में आरोप बरी हुए अन्य अफसर समेत छह आईपीएस अधिकारियों को मंगलवार को पदोन्नति दी। सरकारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है। सीबीआई ने सात आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ इशरत जहां मामले में आरोप पत्र दायर किया था जिनमें शामिल जीएल सिंघल को गांधीनगर के कमांडो प्रशिक्षण केंद्र के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) से पद पर तरक्की देकर महानिरीक्षक की रैंक दी गई है।
सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में हाल में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा आरोपमुक्त किए गए विपुल अग्रवाल को अहमदाबाद में पुलिस के संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) के पद पर पदोन्नत किया गया है। सिंघल को इशरत जहां मामले में फरवरी 2013 में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें सीबीआई की एक अदालत ने जमानत दे दी थी। इसके बाद मई 2014 में राज्य सरकार ने उन्हें राज्य अपराध रेकॉर्ड्स ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक के तौर पर बहाल कर दिया था।
15 जून 2004 को अहमदाबाद में हुए एक पुलिस एनकाउंटर में युवती इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राणा और जीशान जौहर नाम के चार लोगों की मौत हुई थी। पुलिस के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों ने भी दावा किया कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी थे और उनकी योजना गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना था।
सीबीआई के मुताबिक, गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को उस वक्त अगवा कर लिया था जब वे हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। यह दावा किया गया कि उसके पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध थे।
इसके बाद शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति का भी एनकाउंटर हुआ था। अमित शाह तब गुजरात के गृह राज्यमंत्री थे। उन पर दोनों घटनाओं में शामिल होने का आरोप था। हाल ही में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने इस केस के सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया।