नई दिल्ली। उच्च्तम न्यायालय ने तेलंगाना एनकाउंटर मामले की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर करेंगे। यह आयोग छह महीने में जांच करके अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस अदालत के अगले आदेश तक कोई अन्य अदालत या प्राधिकरण इस मामले में पूछताछ नहीं करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना वाले मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम विचार कर रहे हैं कि इस मुठभेड़ की एक स्वतंत्र जांच हो। मामले में तेलंगाना पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मामले की जांच की निगरानी करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश को पहले नियुक्त किया है और एक जज जांच नहीं कर सकते है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि वह इस मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने पर विचार कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने कहा कि हम इस तथ्य के प्रति सचेत हैं कि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस घटना का संज्ञान लिया है। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत सिर्फ यही चाहती है कि उच्चतम न्यायालय के दिल्ली में रहने वाले किसी पूर्व न्यायाधीश को इस मामले की जांच करनी चाहिए। हमारा प्रस्ताव शीर्ष अदालत के किसी पूर्व न्यायाधीश को इस मामले की जांच के लिए नियुक्त करने का है। पीठ ने स्पष्ट किया कि इस घटना की जांच करने वाले पूर्व न्यायाधीश को दिल्ली में रहकर काम करना होगा।
पीठ ने इसके साथ ही इस मुठभेड़ की विशेष जांच दल से स्वतंत्र जांच कराने के लिए दायर जनहित याचिकाओं को गुरुवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया। तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अधिवक्ता कृषांक कमार सिंह ने कहा कि उन्होंने मुठभेड़ के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित निर्देशों का पालन किया है और सारे मामले को पहले ही राज्य सीआईडी के सुपुर्द कर दिया है।
गौरतलब है कि संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने के लिए शीर्ष अदालत में दो याचिकाएं दायर की गई हैं। पहली याचिका अधिवक्ता जीएस मणि ने जबकि दूसरी याचिका अधिवक्ता एमएल शर्मा ने दायर की है।