हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का तीसरा माह ज्येष्ठ मास है। यह शुभ और मंगल का माह है। भगवान मंगल इस माह के स्वामी है।
Jyestha Month 2022 : हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का तीसरा माह ज्येष्ठ मास है। यह शुभ और मंगल का माह है। भगवान मंगल इस माह के स्वामी है। इस माह में पर्यंत मगंल देव का प्रभाव देखने को मिलता है। ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है। मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में साहस का प्रतीक माना गया है। सभी नवग्रहों में मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त है। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस महीने में सूर्य देव और वरुण देव और हनुमानजी की पूजा विशेष फलदायी होती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास 17 मई 2022 से शुरू हो रहा है। जिसका समापन 14 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के साथ होगा।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव का जन्म हुआ था।
महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है-“ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।” यानी ज्येष्ठ महीने में जो व्यक्ति एक समय भोजन करता है वह धनवान होता है। इसलिए संभव हो तो इन दिनों में एक समय भोजन करना चाहिए। इस मास में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं। ज्येष्ठ मास में दिन बड़ा और रात छोटी होती है। दिन बड़ा होने के कारण ही इस ज्येष्ठ कहा जाता है।
ज्येष्ठ मास में जल की बहुत महिमा है। इस माह में जल संरक्षण,जलदान,जल क्षरण रोकने का बहुत महत्व है। इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करने का विधान भी शास्त्रों में बताया गया है। इस महीने में बैंगन नहीं खाया जाता। इससे संतान को कष्ट मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार बैंगन शरीर में वात रोग और गर्मी बढ़ती है। इसलिए पूरे महीने बैंगन खाने से बचना चाहिए।