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Kalyan Singh अलीगढ़ के अतरौली से निकले और देश की राजनीति में छा गए

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्‍याण सिंह (Kalyan singh ) के समर्थक उन्‍हें 'बाबू जी' के नाम से सम्‍बोधित करते थे। यह पदवी उन्‍हें उनके व्‍यवहार और नेतृत्‍व की अलग शैली ने दिलाई थी। अपने लोगों के लिए वह अभिभावक की तरह ही थे और हर वक्‍त तैयार खड़े रहते थे।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ l उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्‍याण सिंह (Kalyan singh ) के समर्थक उन्‍हें ‘बाबू जी’ के नाम से सम्‍बोधित करते थे। यह पदवी उन्‍हें उनके व्‍यवहार और नेतृत्‍व की अलग शैली ने दिलाई थी। अपने लोगों के लिए वह अभिभावक की तरह ही थे और हर वक्‍त तैयार खड़े रहते थे। इसी खूबी ने उन्‍हें अलीगढ़ के अतरौली से प्रदेश और देश की राजनीति में चमका दिया। राममंदिर आंदोलन और बाबरी ढांचा विध्‍वंस के दौरान एक वक्‍त आया जब समाचार माध्‍यमों के जरिए वह पूरी दुनिया में छा गए।

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उनके राजनीति सफर की शुरुआत अतरौली से हुई थी लेकिन जल्‍द ही वह सियासत की दुनिया के धुरंधर बन गए। उन्‍होंने राजनीति के अखाड़े में बड़े-बड़ों को पटखनी दी और कई रिकार्ड तोड़ डाले। कल्‍याण सिंह का जन्‍म 5 जनवरी 1932 को अतरौली के मढ़ौली गांव में हुआ था। यहीं से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रहे ओमप्रकाश ने उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ने को प्रेरित किया। कल्‍याण 1967 में, अतरौली विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। लगातार 13 साल 1980 तक वह यहां से विधायक रहे। 1991 में यूपी सीएम के पद पर उनकी ताजपोशी हुई। 1997 में वह दोबारा मुख्यमंत्री बने। लेकिन 1999 में उन्होंने भाजपा छोड़कर नई पार्टी (राष्ट्रीय क्रांति पार्टी) बना ली। कल्‍याण ने 2004 में फिर भाजपा में फिर वापसी की लेकिन बात बनी नहीं। 2009 में फिर मनमुटाव शुरू हो गया तो उन्‍होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया। इसके बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह से उनका याराना काफी चौंकाने वाला था। 2013 में एक बार फिर उनकी घर वापसी हुई। 2014 में उन्‍होंने जमकर भाजपा का प्रचार किया। केंद्र में नरेन्‍द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही वह राजस्थान के राज्यपाल बना दिए गए।

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