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जानें अखिलेश यादव ने ट्वीट कर क्यों कहा , जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं

अब से एक घंटे पहले किया गया उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा एक ट्वीट काफी चर्चा में हैं। अखिलेश ने ट्वीट में लिखा है कि उप्र में हो रहे अन्याय के खिलाफ अपर जिला जज श्री मनोज कुमार शुक्ला के मामले का तुरंत न्यायिक संज्ञान लिया जाए। जब न्यायालय के व्यक्तियों के साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ क्या होगा। ये बदहाल कानून व्यवस्था का निकृष्टतम उदाहरण है।

By प्रिन्स राज 
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लखनऊ। अब से एक घंटे पहले किया गया उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा एक ट्वीट काफी चर्चा में हैं। अखिलेश ने ट्वीट में लिखा है कि उप्र में हो रहे अन्याय के खिलाफ अपर जिला जज श्री मनोज कुमार शुक्ला के मामले का तुरंत न्यायिक संज्ञान लिया जाए। जब न्यायालय के व्यक्तियों के साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ क्या होगा। ये बदहाल कानून व्यवस्था का निकृष्टतम उदाहरण है। ‘जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं। दरअसल ये ट्वीट उन्होंने बस्ती जिले से जुड़े एक मामले पर किया है। हर्रैया ब्लॉक के छपिया शुक्ल गांव में रजवाहा नहर की खुदाई के विरोध में सुल्तानपुर जिले में तैनात न्यायिक अधिकारी एडीजे मनोज शुक्ला जेसीबी के सामने रात भर अड़े रहे।

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उन्‍होंने आरोप लगाया कि नहर के लिए उन्होंने अपनी जमीन का कोई बैनामा नहीं किया है। उनकी इजाजत के बगैर ही जिला प्रशासन की मिलीभगत से नहर विभाग उनके खेत में अवैध रूप से नहर की खुदाई कर रहा है। न्यायिक अधिकारी के धरने पर बैठने की सूचना मिलते ही हड़कंप मच गया। आनन-फानन में प्रशासनिक अधिकारी और कई थानों की फोर्स पहुंच गई। रात भर चली मनुहार के बाद न्‍यायिक अधिकारी, गुरुवार दोपहर धरने से हटे।

अब समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने इसे लेकर सरकार पर तंज कसा है। बस्‍ती की हर्रैया तहसील से होकर गुजरने वाली सरयू नहर परियोजना अंतर्गत रजवाहा नहर लगभग 28 किलोमीटर बनकर तैयार हो गई है। छपिया शुक्ल गांव में थोड़ी-सी जमीन की खुदाई अधूरी थी। बुधवार को तहसील प्रशासन, नहर विभाग के अधिकारी व ठेकेदार जेसीबी मशीन लेकर नहर की खुदाई करने छपिया शुक्ल गांव पहुंचे तो सुल्तानपुर में तैनात न्यायिक अधिकारी मनोज शुक्ला के परिजन मयंक शुक्ला उन्हें रोकने लगे।

कहा कि जमीन का बैनामा उन्होंने नहर विभाग को नहीं किया है। पुलिस ने मयंक को हिरासत में ले लिया और ठेकेदार ने जेसीबी से खुदाई शुरू कर दी। जानकारी होने पर देर शाम न्यायिक अधिकारी गांव पहुंचे और रात में खेत पर पहुंचकर काम रुकवाने की कोशिश की। इसके बावजूद खुदाई चालू देख वह जेसीबी के सामने ही लेट गए। उन्हें मनाने के लिए ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम हर्रैया अमृतपाल कौर, सदर एसडीएम समेत कई थानों की फोर्स पहुंची।

पूरी रात मान मनौव्वल का दौर चलता रहा लेकिन अधिकारी जेसीबी के सामने ही खेत में लेटे रहे। गुरुवार को भी दिन में दो बजे तक वह खेत के बगल में चारपाई डालकर बैठे रहे। जिला प्रशासन और नहर विभाग के एक अधिशासी अभियंता पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने काम बंद कराने के साथ ही कार्रवाई की मांग की। एडीएम अभय कुमार मिश्रा और सीओ शेषमणि उपाध्याय के काफी मशक्कत और घंटों बातचीत के बाद एडीजे इस बात पर सहमत हुए कि हिरासत में लिए गए उनके भतीजे को छोड़ने के साथ ही जो मिट्टी निकाली गई है, उसे समतल करा दिया जाए।

इसके बाद न्यायिक अधिकारी घर लौटे। बोले कि वह अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे। मनोज से शुक्ला ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ये कहा कि मैंने किसी को अपनी जमीन का बैनामा नहीं किया है और न मुझे कोई मुआवजा मिला है। कई बार डीएम बस्ती व नहर विभाग के अधिकारियों को पत्र देकर जमीन में नहर की खुदाई करने से मना किया था। नहर विभाग द्वारा मेरे खेत का अधिग्रहण भी गलत तरीके से किया गया है।

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